जब पूरी दुनिया में मलाला एक बाल शक्ति के रूप में उभर रही थी, जब देश विदेश में उनके साहस का लोहा माना जा रहा था और जब उन्हें शांति के नोबल से पुरस्कृत किया गया तब यह दुनिया, हम और आप यह भी समझ रहे थे की इसी दुनिया में एक कोना ऐसा भी है,जहाँ न केवल मानव बल्कि बाल अधिकार भी तार तार किये जा रहे हैं.
हम बात कर रहे हैं, ‘फलिस्तीन’ की, जहाँ बीते 20 दिसंबर को एक 16 वर्षीय युवती, अहद तमीमी को इज़राईल द्वारा अनधिकृत क़ब्ज़े वाले वेस्ट बैंक में उनके घर में नजर बंद कर दिया गया, इसके साथ ही साथ उनकी माता को भी हिरासत में लिया गया है. उनके पिता के मुताबिक, उनके घर, जो की सामाजिक कार्यों के लिए वेस्ट बैंक में जाना जाता है, में रात 3 बजे इज़राइल की पुलिस का बेधड़क घुस आना बेहद डरावना था.
उनके मुताबिक सब परिवारजनों को पुलिस ने एक कमरे में बंद करदिया और फिर पूरे घर की तलाशी ली. उसके पश्चात उन्हें यह बताया गया की अहद को बिना कारण बताये हिरासत में लिया जा रहा है. यह प्रथम बार होगा जब अहद को हिरासत में लिया जा रहा है, हालाँकि वह नबी-सालेह विद्रोह का एक जाना-पहचाना चेहरा हैं.
अहद को हथकड़ी पहना कर, बाहर लाकर इज़राइल आर्मी की जीप में बिठाया गया और उनके परिवार जनों को पीछे आने से रोका भी गया. अहद के पिता ने आगे बताया की ३० पुलिस के सदस्य अहद को हिरासत में लेने आये थे और उन्होंने परिवार जनों का मोबाइल, लैपटॉप भी जब्त करलिया.
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पूरा परिवार अभी सदमे में है. ‘एसोसिएशन फॉर सिविल राइट्स इन इज़राइल’, एक इज़राईली NGO है जिसने यह बताया की इज़राईल द्वारा आनाधिकृत क़ब्ज़े वाले फलीस्तीन में अवयस्क से पूछ्ताछ के दौरान उसके अभिभावक की मौजूदगी जरुरी है और इसी कड़ी में अहद की माँ उससे मिलने पुलिस स्टेशन पहुंची,लेकिन उन्हें भी हिरासत में ले लिया गया.
इज़राइल की तरफ से इस हिरासत के विषय में कोई बयान नहीं आया है. हालाँकि तमीमी परिवार का इज़राइल मिलिट्री के साथ यह पहला टकराव नहीं है. इसके पूर्व में भी वसीम, जोकि अहद के पिता हैं को कई बार हिरासत में लिया जा चुका है और उन्हें 2012 में उनके काम के लिए एमनेस्टी इंटरनेशनल ने ‘विवेक के कैदी’ का तमगा सौंपा था.
वसीम ने यह भी कहा की वो शक्तिविहीन महसूस कर रहे हैं क्यूंकि वो फिलहाल मिलिट्री के सामने कुछ नहीं कर सकते. ज्ञात हो की यह हिरासत, अहद के सेना के सामने विरोध करने के पश्चात हुई है. वो डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा जेरूसलम को इज़राइल की राजधानी के रूप में स्वीकार करने को लेकर विरोध कर रही थी.
इज़राइल के एक प्रवक्ता ने अल-जजीरा से बातचीत में बताया की, अहद पर सेना पर हमला करने का आरोप है और उन्होंने यह भी कहा की अहद ने हिंसात्मक दंगों में भी प्रतिभागिता दिखाई है, जिसमे सैंकड़ों फलिस्तीनीओं ने इ
राइल के सैनिकों पर पत्थर फेंके थे. हालाँकि वसीम ने इन आरोपों को खारिज किया है, पूर्व में अहद के चचेरे भाई पर इज़राईली सेना ने पॉइंट ब्लेंक रेंज से रबर की गोली से हमला किया था और वह ७२ घंटे कोमा में रह चुका है, अहद उन सभी सैनिकों को घर से दूर रहने को बोल रही थी और यह सुनिश्चित कर रही थी की किसी प्रकार का हमला न होने पाए हालाँकि इज़राइल के प्रवक्ता का कहना था की सैनिकों ने वाजिब और कानूनी कदम ही उठाये हैं.
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वसीम का कहना है की उहे यह हक़ है,की वो इज़राइल की सेना का अपने जमीन पर विरोध करें. अहद की गिरफ़्तारी को जहाँ इज़राइल वाजिब बता रहा है,वहीँ विभिन्न सामाजिक संगठन इस गिरफ़्तारी का विरोध कर रहे हैं,और अहद के संघर्ष की दाद दे रहे हैं. इज़राइल द्वारा आनाधिकृत क़ब्ज़े वाले वेस्ट-बैंक में लोगों का मानना है की इज़राइल के सैनिक, फलिस्तीन के बच्चे, बूढ़े, पुरुष, महिला किसी को भी नहीं छोड़ रहे है और सबको निशाना बना रहे हैं.
एक फलीस्तीनी एनजीओ ने तो यहाँ तक माना की सभी फलिस्तीनी नागरिक वस्त्र पहन कर सोते हैं,इस भय से की कब उनकी निजता पर हमला हो जाये और उनके घर में पुलिस एवं सेना रेड करने लगे. बता दें की इज़राइल ने नवम्बर 24 से दिसंबर 4के बीच फलिस्तीन में करीब 100 रेड करी हैं, जिससे लोगों में भय व्याप्त है.
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