26 अप्रैल 1986 को युक्रेन के चेर्नोबिल में हुई परमाणु दुर्घटना अब तक की सबसे भयानक परमाणु दुर्घटना मानी जाती है. यह आपदा शनिवार,26 अप्रैल 1986 को एक प्रणाली के परीक्षण के दौरान चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र, के चौथे हिस्से से शुरु हुई. वहाँ अचानक विद्युत उत्पादन में वृद्धि हो गई थी और जब उसे आपातकालीन स्थिति के कारण बंद करने की कोशिश की गई तो उल्टे विद्युत के उत्पादन में और ज्यादा वृद्धि हो गई. इससे एक संयंत्र टूट गया और अनियंत्रित नाभकीय विस्फोट श्रृंखला शुरु हो गई. संभवतः ये घटनाएं संयंत्र के ग्रेफाइट में आग लगने का कारण हो सकती हैं. तेज हवा और आग के साथ रेडियोधर्मी पदार्थ तेजी से आस-पास के क्षेत्रों में फैल गए.
यूक्रेन के चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र के रिएक्टर-4 में हुए परमाणु हादसे में रिएक्टर की छत उड़ गई और जो आग लगी वह नौ दिनो तक धधकती रही.रिएक्टर के बाहर कंक्रीट की दीवार न होने के कारण रेडियोधर्मी मलबा वायुमण्डल में फैल गया जिसके विकिरण से 32 लोगों की मौत हो गई. अगले कुछ दिनों में रेडियोधर्मी बीमारियों के कारण 39 अन्य लोग मारे गए. इसका रेडियोधर्मी पदार्थ यूक्रेन, रूस और बेलारूस तक फैल गया था. प्रदूषण को रोकने के लिए 18 अरब रूबल खर्च किए गए. 1986 से 2000 तक 3,50,450 लोगों को यूक्रेन, रूस, बेलारूस के प्रदूषित इलाक़ों से निकालकर दूसरी जगह बसाना पड़ा.
इस हादसे के बाद धरती का एक बड़ा भाग प्रदूषित हो गया और हज़ारों लोगों को अपनी रोजी-रोटी गंवानी पड़ी. इसमें भारी संख्या में जान माल की क्षति हुई , इस दुर्घटना से सर्वाधिक प्रभावित बेलारूस हुआ. यही नहीं इस हादसे के लोगों पर जो मानसिक आघात हैं उसकी गणना नहीं की जा सकती.
माना जाता है कि चेरनोबिल की वजह से मरने वाले लोगों की संख्या 4000 तक जा सकती है. इससे प्रभावित लोगों को अकसर थाइरॉयड कैंसर या ल्यूकेमिया होता है. रूस, बेलारूस और यूक्रेन अब भी चेर्नोबिल रिएक्टर की रेडियोधर्मी किरणों से लोगों के बचाने के लिए बहुत निवेश कर रहे हैं. चेर्नोबिल के बाद जापान के फुकुशिमा परमाणु रिएक्टर में हुई दुर्घटना को सबसे खतरनाक परमाणु हादसा माना जाता है.
बेशक ‘परमाणु ऊर्जा’ ऊर्जा का एक अच्छा विकल्प हो सकता है,लेकिन परमाणु संयंत्रो के दुर्घटनाग्रस्त होने की स्थिति में परमाणु विकिरण का रिसाव एक गंभीर समस्या हो सकता है.इसके अलावा रेडियो विकिरण के कारण परिस्थितिकी में आने वाला परिवर्तन एक अन्य चिंता का विषय हो सकता है.ऐसे में सरकारी एवं गैर सरकारी संगठनों के साथ लोगों की एक सामूहिक ज़िम्मेदारी होनी चाहिये कि अपनी योग्यता एवं क्षमता के अनुसार लोगों को इस विषय में जागरूक एवं शिक्षित करने का प्रयास करें.
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