दस्तक न्याय यात्रा में वन कानून के जरिए कैसे गरीब लोगों को जमीन से बेदखल किया जा रहा है, मालूम पड़ रहा है। उमरिया में जेनिथ यूथ फाउंडेशन और विकास संवाद के सहयोग से निकल रही यात्रा में आज कहानी भोदल सिंह जी की ।
भोदल सिंह पिता फिरतु सिंह , ग्राम जुनवानी , जिला उमरिया के निवासी है। भोदल सिह बताते है कि उनके पिता जी 8 एकड़ भूमि में खेती करते थे जो कि उनकी पुस्तैनी जमीन है । खाता खितौनी के पुराने रिकॉर्ड में भी उनके बाबा का ही नाम दर्ज है । 15 साल पहले भोदल सिंह को वनविभाग के अधिकारियों ने पट्टे की जमीन से जेल में डाल देने की धमकी देकर बेदखल कर दिया ।
भोदल सिंह ने कई बार इसकी शिकायत कलेक्टर एवम वन विभाग में की लेकिन किसी ने उनकी नही सुनीसीमांकन के आवेदन पर पटवारी ने वनविभाग की जमीन न नापने एवम अपनी नौकरी जाने की बात कह कर भोदल सिंह को चलता किया । 4थी कक्षा तक पढ़े भोदल सिंह बचपन मे ही पिता का साया उठ जाने से पारिवारिक जिम्मेदारियों की वजह से नही पढ़ पाये ।
- भोदल सिंह कहते हैं कि जमीन का लगान देते जा रहा हूँ लेकिन मुझे मेरे ही खेत से बेदखल कर दिया गया है ।
- मेरे पास अब सिर्फ 1 एकड़ जमीन है जिसमें मेरा घर,बाड़ी भी है शेष भूमि पर सिर्फ 3 महीने के खाने को कोदो मिल पाता है ।
- राशन की दुकान से 25 किलो अनाज मिलता है जो 12 – 13 दिनों को होता है । बांकी के दिनों के लिए उन्हें मजदूरी करनी पड़ती है ।
- 6 साल पहले वन विभाग ने इस जमीन पर सागौन के पेड़ लगवा दिए ।
- विरोध के वावजूद अब जब भोदल सिंह ने फिर प्रयास किया तो वन विभाग के बाबुओं ने यह कह कर लौटा दिया कि जमीन तो अब मिलने से रही , ऊपर बात करो तो शायद मुआवजा मिल जाये ।
भोंदल सिंह का शार्ट वीडियो,जिसे लेख़क ने अपने मोबाईल फोन से शूट किया है
https://youtu.be/cfnrwyzzOk0