अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यरुशलम को इस्राइल की राजधानी के तौर पर मान्यता दे दी और साथ ही तेल अवीव से अमेरिकी दूतावास को यरुशलम स्थानांतरित करने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए विदेश मंत्रालय को आदेश भी दिया. इस फैसले के बाद पुरे विश्व जगत में प्रतिक्रिया हो रही हैं.
अगर पुरे मामले को गौर से देखा जाये तो डोनाल्ड ट्रंप के इस सनकभरे फैसले से पूरी दुनिया प्रभावित होगी. अरब देशों के नेताओं ने ट्रंप प्रशासन के इस फैसले से पहले से ही संवदेनशील पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ने की चेतावनी दी है. ट्रंप की इस घोषणा की कई देशों ने आलोचना की है. अमेरिका के कई सहयोगियों और साझेदारों ने भी इस विवादास्पद निर्णय की निंदा की है.
फ्रांस के राष्ट्रपति ने चिंता जताई. ’’ इसमें कहा गया कि ऐसा कोई भी फैसला इजराइल और फलस्तीन के बीच बातचीत के तय पैमाने के भीतर होना चाहिए.
तुर्की के राष्ट्रपति रजब तयब एर्दोआन ने आगाह किया कि इससे क्षेत्र आग के गोले मे बदल जाएगा.
अरब नेताओं ने भी चेताया कि इस फैसले से पश्चिम एशिया और दूसरी जगहों पर व्यापक विरोध प्रदर्शन शुरू हो सकते हैं.
ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने ट्रंप की योजना की आलोचना करते हुए कहा कि यह गलत, अवैध, भड़काऊ और बेहद खतरनाक है.
जॉर्डन के शाह अब्दुल्ला द्वितीय ने कहा कि यरूशलम पूरे पश्चिम एशिया की स्थिरता के लिहाज से महत्वपूर्ण है.
भारत ने सधी टिप्पणी करते हुए कहा कि फिलस्तीन के मुद्दे पर कोई तीसरा देश स्टैंड को तय नहीं करेगा.
ट्रंप की इस घोषणा की कई देशों ने आलोचना की है. अमेरिका के कई सहयोगियों और साझेदारों ने भी इस विवादास्पद निर्णय की निंदा की है.
यरुशलम को राजधानी के रूप में मान्यता देने पर फिलिस्तीनी संगठन हमास ने कहा कि ट्रंप ने नरक का रास्ता खोला है.
फिलिस्तीन में गुरुवार को आम हड़ताल की शुरुआत हो गई वहीं क्षेत्र में नए सिरे से आंदोलन का आह्वान किया गया है. ट्रंप के फैसले के बाद क्षेत्र में रक्तपात की आशंका बढ़ गई है.
ट्रंप के फैसले के बाद बनी अनिश्चितता के बीच इजरायल ने पश्चिमी तट पर सैंकड़ों की संख्या में अतिरिक्त सैनिक तैनात किए हैं. पश्चिमी तट के शहर रामल्ला में एक विशाल प्रदर्शन की योजना बनाई जा रही है. इस बीच हजारों लोगों ने हमास शासित गाजा पट्टी में कल रात प्रदर्शन किया और अमेरिकी और इजरायली झंडे जलाए गये.
ज्ञात रहे, इजराइल और फलस्तीन के बीच विवाद में यरुशलम का दर्जा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है. ये दोनों यरुशलम को अपनी राजधानी बताते हैं.
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले को ऐतिहासिक और साहसी फैसला बताया। नेतन्याहू ने एक बयान में कहा कि , यह ऐतिहासिक दिन है, यह करीब 70 सालों से इजरायल की राजधानी रहा है. यरुशलम तीन सदियों से हमारे सपनों, हमारी उम्मीदों, हमारी दुआओं के केंद्र में रहा है. यह 3,000 वर्षों से यहूदी लोगों की राजधानी रही है. यहां हमारे पवित्र स्थल हैं, हमारे राजाओं ने शासन किया और हमारे पैंगबरों ने उपदेश दिए.
एक नजर यरुशलम पर
यरुशलम की आबादी 8.82 लाख है. शहर में यहूदी, अरबी मुस्लिम और ईसाई व अन्य धर्मों के लोग रहते हैं. शहर का क्षेत्रफल 125.156 वर्ग किमी है. इजरायल और फलस्तीन, दोनों ही अपनी राजधानी यरुशलम को बनाना चाहते थे. इस ऐतिहासिक शहर में मुस्लिम, यहूदी और ईसाई समुदाय की धार्मिक मान्यताओं से जुड़े प्राचीन स्थल हैं.