लगता है ये सारी रात सोये ही नहीं – गाज़ीपुर सीमा पर इस समय जहां तक निगाह जाती है तिरंगे दिख रहे हैं । भीड़ अनुमान से परे – असल में दस बजने तक संख्या कितनी बढ़ेगी? अनुमान नहीं- यहाँ अधिकांश किसानों के घर तीस से चालीस किलोमीटर दे दायरे में हैं — ये अपने साथियों के साथ रात तो घर चले जाते हैं और फिर सुबह बयरु कर लौटते हैं।
आज रात तीन बजे से पानी गर्म हो रहा था- हर टेंट से जपजी साहेब , सुखमनी साहेब या गुरुवाणी के पाठ गूंज रहे थे . अधिकांश आन आज के लिए नए कपडे लाये हैं । उत्तराखंड के बाजपुर, किच्छा आदि के किसान बहुत उत्साह में हैं। कल लोनी कीतरफ से आ रहे ट्रेक्टरों को जब पुलिस ने रोका तो कुछ तनाव हुआ — बेरिकेड तोड़ डाले गये और रेला गाजीपुर सीमा की तरफ बढ़ गया ।
अभी सुबह कई लोग अपनी गाड़ियों को ढो रहे हैं, झंडे से सजा रहे हैं और कुच्छ पीले फूल भी हैं । एक ट्रेक्टर में श्री गुरुग्र्नाथ साहिब को सजाया जा रहा है, उधर कुछ झांकियां भी हैं।
महिलाओं के यहाँ अलग से टेंट हैं और शायद इस इलाके में सारी रात कोई सोया नहीं। कढाई भी चढ़ाई है, आलू-मटर , गोभी की लिप्त्मा सब्जी तैयार है ।
आयोजकों की सबसे बड़ी चिंता सुरक्षा को ले कर है क्योंकि आयोजकों का बड़ा वर्ग अभी भी यह बात हज़म नहीं कर पा रहा कि दिल्ली पुलिस इतनी आसानी से मान कैसे गयी? फिर शंका उस समय बढ़ गयी जब पाकिस्तानी हेंडल जैसे कागजात पुलिस ने सार्वजनिक किये।
अभी एक साल भी नहीं हुआ है , शाहीन बाग़ और उसी की तर्ज पर चल रहे देश व्यापी आन्दोलन को ख़त्म करने के लिए दल्ली पुलिस ने इसी तरह अपने एजेंटों का सहारा ले कर हिंसा करवाई थी, जे एन यु में टुकड़े के नारे और उसके बाद होस्टल में मारापीटी के कारनामे सामने हैं । दल्ली पुलिस कश्मीर पुलिस के डी एस पी दविंदर सिंह के साथ मिल कर आतंकी का खेल खेलती रही है ।
यह सभी जानते हैं कि किसान आन्दोलन में बड़ी संख्या में पूर्व सैनिक हैं, अब उन लोगों ने सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाल ली है। साथ ही उद्दंडता करने वालों की पहचान करना, लोगों को अनुशासन में रखने के लिए हर जगह तीन हजार से ज्यादा वालेंटियर हैं।
बिना रजिस्ट्रेशन, डीएल और आधार कार्ड के किसी भी ट्रैक्टर को मार्च में शामिल होने की इजाजत नहीं दी जा रही है। जगह-जगह काउंटर बनाकर मार्च में शामिल होने वाले ट्रैक्टर चालकों का रजिस्ट्रेशन कार्ड बनाया जा रहा है। इन रजिस्ट्रेशन केन्द्रों पर सुबह छः बजे से लाईन लगी है
पुलिस के टकराव के कई बिंदु भी सामने हैं । एक तो ट्रेक्टर की पांच हज़ार की सीमा, इसे कोई नहीं मानेगा।
दूसरा तीन जगह से एंट्री — किसान कम से कम 9 सीमा पर अपने फौज फाटे के साथ हैं। जैसे दिल्ली-नोएडा लिंक रोड पर चिल्ला बॉर्डर पर केंद्र के कृषि कानूनों के विरोध में ट्रैक्टर रैली के लिए तिरंगे के साथ किसान तैयार हैं। जबकि पुलिस उन्हें गाजीपुर जाने को कह रही है।
तीसरा समय — रैली को समय बाढ़ बजे का दिया है लेकिन सिंघु सीमा पर सिंह साहेबान अभी से सीमा पर कर पैदल ही चल दिए हैं, आगे वक्त मिला तो फिर ताजा हाल बताएँगे ।