राजनीति की एक बहुत पुरानी मिसाल है,”राजनीति में कोई भी परमानेंट दोस्त या दुश्मन नहीं होता है” और जाने अनजाने में इस बात का इल्म हर नेता को होता है,तभी तो कभी “दल बदल” कर नेता इधर से उधर होकर अपना दिल हल्का कर लेते हैं,ऐसा ही कुछ एक और नेता करने कोउतारू हैं,जिनका नाम पहचान की मोहताज नही है,ये हैं नवजोत सिंह सिद्धधू।
भाजपा से अपनी राजनीति शुरू करने वाले सिद्धधू,2017 के चुनावों से पहले कांग्रेस में शामिल हों गए थे और पार्टी ने उन्हें खूब सम्मान दे कर केबिनेट मंत्री बना दिया था,लेकिन वही पुरानी दिक्कत,”सत्ता” की चाहत,और प्रोमोशन, किसे नही चाहिए होता है? और टीम इंडिया के बल्लेबाज़ रहें नवजोत सिंह बहुत अच्छे से जानते हैं कि “शॉट” कहा मारना होता है।
पिछले करीब 2 महीने से पंजाब में चल रही सियासी गर्मी आज उस वक़्त बहुत ज़्यादा बढ़ गई जब नवजोत सिंह सिद्धधू ने ट्वीट करके “आम आदमी पार्टी” की तारीफ करनी शुरू कर दी,अब होना क्या था,हंगामा खड़ा हो गया,आनन फानन में ये राष्ट्रीय मुद्दा बन गया कि “क्या आप के हो जायेंगे सिद्धधू”? चलिये फिर इसी पर बात करते हैं।
क्या सिद्धधू का बेहतर भविष्य है आप में?
राजनीतिक ऐतबार से बैटिंग करने के लिए फिलहाल पंजाब की पिच सिद्धधू के लिए बेहतरीन बताई जा रही है,क्यूंकि आम आदमी पार्टी 2017 में करी गयी गलतियों को सुधारने के लिए पंजाब में “मुख्यमंत्री” का चेहरा ढूंढ रही है,और केजरीवाल खुल कर बोल रहे हैं कि वो “सिख” होगा,लेकिन कौन होगा ये अभी तय नहीं,बस सिद्धधू बस इधर की तरफ की ही कोशिश ही में लगे हैं।
क्रिकेट की पिच पर बैटिंग करने वाले सिद्धधू का राजनीतिक करियर अच्छा तो रहा है लेकिन शानदार नहीं रहा है,वो महत्वाकांक्षी हैं,बड़ा चेहरा हैं,और आकर्षक चेहरा है और कांग्रेस ने तो उन्हें अपने स्टार प्रचारक की तरह पेश किया ही है,लेकिन अगर सब कुछ आसान मानते हुए ये मान लिया जाए कि वो “आप” मे चले गए,तो क्या वो “आप” मे उस तरह से राजनीति कर पाएंगे?
आम आदमी पार्टी को शुरु से अब तक जानने वाले लोग इस बात को बहुग अच्छे से जान रहे हैं और समझ रहे होंगे कि केजरीवाल जो पार्टी के “चीफ” हैं उनको लेकर एक बहुत बड़ा सच ये है कि वो अपने सामने किसी नेता को “बड़ा” नहीं बनने दे सकते हैं,तो क्या नवजोत सिंह जैसे एक्टिव और सेलिब्रिटी नेता को वो क़ुबूल कर पाएंगे? सवाल तो ये भी है।
क्या है नवजोत सिंह सिद्धधू के पास ऑप्शन?
फिलहाल कांग्रेस के नेता के तौर पर स्थापित नवजोत सिंह के पास इस वक़्त बहुत ज़्यादा ऑप्शंस नहीं है,भाजपा के खेमे से बाहर आकर कांग्रेस का दामन थामने वाले सिद्धधू जी को ये सोचना चाहिए कि वो अगर कांग्रेस छोड़ कर अगर आप मे जाएंगे तो क्या अपने मुख्यमंत्री ख़्वाब को वो पूरा कर पाएंगे?
पंजाब में तीन मुख्य दल हैं,कांग्रेस जो इस वक़्त सत्ता में हैं,आम आदमी पार्टी जो विपक्ष में है और शिरोमणि अकाली दल जो पहले सत्ता में रहा है,कांग्रेस में सिद्धधू जी की दाल गल नहीं रही है वो पार्टी में फ्री हैंड चाहते हैं और “महाराजा” का ऐसा करने कोई प्लान नही है,बस इसलिए वो छटपटा रहे हैं और ट्वीट से लेकर मीटिंग तक कर रहे हैं।
शिरोमणि अकाली दल में उनका कोई ऑप्शन बनता नही है क्योंकि सुखबीर बादल के होते हुए अभी 20 साल कोई वेकेंसी नही है तो फिर? अब बचा क्या? अब बची आप,जो एक बड़ा सेलेब्रिटी टाइप चेहरा तलाश कर रही है,जो भीड़ खींच सके,जो लोगों को जमा कर सके और सबसे बड़ी बात पंजाबियों के लिए “अपना” हो।
अगर हम लोग सारी नाराज़गी एक तरफ अगर रख दें तो ये सारी खूबियां नवजोत सिंह सिद्धधू में है भी,बस इसलिए सिद्धधू साहब माहौल बना रहे हैं ऐसा माहौल जिसमे ये लगे के कांग्रेस ने सिद्धधू के साथ “गलत” किया है और लोगों के बीच सहानुभूति हो जाएं और इसके बल पर वो “शानदार” नेता बन जाएं हो वो है नहीं।
बाकी करीब 6 महीने बाद होने वाले चुनावों में क्या होगा क्या नहीं,फिलहाल के लिए इतना जानना और ज़रूरी है कि कुछ बड़ा ज़रूर होने वाला है अब ये कहां होगा कैसे होगा, इसके लिये इंतेज़ार कर लीजिए… जैसे “केजीएफ- चेप्टर 2 ” का कर रहें हैं,क्योंकि अक्सर कहानियां दूसरे पार्ट में ही खत्म होती है पांच नदियों की राजनीति 2022 की की कहानी भी वहीं ही पूरी होगी… शायद..