क्या पप्पू यादव अब हो जाएंगे कांग्रेसी ?

Share

जन अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व सांसद पप्पू यादव आजकल फिर से चर्चा में हैं। नहीं नहीं फिर से उन्होंने गरीबों की मदद नहीं की है और न ही बाढ़ में फंसें हुए लोगों की मदद करने के लिए नांव ले कर उतर पड़े हैं। ये काम तो वो करते ही रहते हैं इस बार खबर थोड़ी सी राजनीतिक है।

दरअसल खबर ये है कि पप्पू यादव 32 साल पुराने आरोप में जेल से 5 महीनों बाद बाइज़्ज़त बरी हो कर वापिस आये हैं। उनके बाहर आते ही खबरें ये चल रही है कि वो कांग्रेस में अपनी पार्टी का विलय करने वाले हैं। इस खबर ने बिहार की राजनीति में भूचाल ला दिया है।

कौन हैं पप्पू यादव

पप्पू यादव बिहार के पूर्व लोकसभा सांसद हैं उनकी पत्नी राजनीतिक तौर पर अलग पार्टी में रही हैं और वो कांग्रेस के टिकट पर सांसद रही हैं। पप्पू यादव 5 बार लोकसभा के सांसद रहे हैं। 2015 में उन्हें सबसे बेहतरीन सांसद होने के अवार्ड से भी नवाज़ा गया था। इसके अलावा अपनी अलग तरह की राजनीतिक पहचान रखने वाले पप्पू यादव का नाम बिहार के उन नेताओं में आता है जिन्हें “जननेता” कहा जाता है।

2015 में अपनी अलग राजनीतिक पार्टी जन अधिकार पार्टी बना कर चर्चा में आये पप्पू यादव ने बिहार में एक नया राजनीतिक दांव खेला था मगर वो कामयाब नहीं हो पाया था। दो विधानसभा और एक लोकसभा चुनाव लड़ चुकी उनकी पार्टी कोई भी जीत हासिल नहीं कर पाई है।इसलिए पप्पू यादव की नजरें अब आगे की और है।

क्या है पप्पू यादव का प्लान

दरअसल कांग्रेस में इस वक़्त राहुल गांधी का दौर शुरु हो चुका है और वो युवाओं को ज़मीन पर संघर्ष करने वाले और मेहनती नेताओं को खूब पसंद कर रहे हैं। इसलिए राहुल गांधी की नज़र पप्पू यादव पर भी है और इसी वजह से अब ये लगभग तय माना जा रहा है कि जन अधिकार पार्टी का विलय अब कांग्रेस में होने वाला है। जिसमें की पप्पू यादव को बिहार में बड़ी जिम्मेदारी भी दी जा सकती है।

इसका सीधा सा इशारा पूर्व सांसद ने दे भी दिया है,बिहार में होने वाले 30 अक्टूबर के उपचुनाव में जहां राजद और कांग्रेस ही के बीच खटास नज़र आ रही है। वहां पर पप्पू यादव ने खुलेआम कांग्रेस के उम्मीदवारों के गठबंधन का ऐलान करने का फैसला कर लिया है। जिसके बाद बीते कुछ वक्त से लगाये जा रहे क़यास सही साबित होते नज़र आ रहे हैं।

क्यों है कांग्रेस के लिए ज़रूरी?

दरअसल बिहार में कांग्रेस सेकेंड पार्टी बन कर रह गयी है जो राजद के बल पर ही टिकी हुई सी नज़र आती है। 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों में गठबंधन में कांग्रेस को 70 सीटें दी गयी थी लेकिन वो सिर्फ 19 सीटें ही जीत पाई और उसकी बहुत आलोचना भी की गई थी हालांकि हार जीत की वजह कुछ भी हो सकती है लेकिन कांग्रेस बुरी तरह से हारी थी।

क्योंकि कांग्रेस के पास कोई भी बहुत बड़ा बिहार का नाम नहीं था ऐसा नाम जो उसे जनता के सामने पेश करे और उसे एक्टिव रखे इसी वजह से राहुल के रणनीतिकारों ने पप्पू यादव का नाम सुझाया है। जो निडर और झुझारू नेता हैं और राहुल इस बात को खुद कह चुके हैं कि उन्हें ऐसे ही नेता चाहिए।

इससे पहले कनहैया को पार्टी जॉइन कराते हुए भी राहुल ने सबको चौंका दिया था लेकिन राहुल ने ये काम बिहार विधानसभा चुनावों की रणनीति को देखते हुए ही किया था इसमें कोई दो राय नहीं है। पप्पू यादव को भी उसी रणनीति को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस में लिया जा रहा है। क्योंकि पप्पू यादव लोकप्रिय नेताओं में शुमार हैं और कांग्रेस को ऐसे नेता चाहिए।