देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस इस वक़्त सबसे बुरे दौर से गुज़र रही है,पार्टी के पास नीति,नीयत और नेता तीनों ही चीजों की भारी कमी हो रही है, हाल ये हो गया है कि 74 वर्षीय सोनिया गांधी को “अंतरिम” अध्यक्ष बने हुए 2 साल होने के हो,लेकिन किसी भी “परमानेंट” कांग्रेसी अध्यक्ष पार्टी चुन नहीं पा रही है।
अब बहुत बड़ी खबर ये आ रही है कि हो सकता है कि कांग्रेस पार्टी को फिर एक बार गैर गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बनने जा रहा है, और ये मांग रखने वाला और कोई नहीं पार्टी के सबसे अहम नाम राहुल गांधी खुद हैं,उनका मानना है कि पार्टी का अध्यक्ष गांधी परिवार से अलग होना चाहिए।
तो क्या फिर से 23 साल बाद कांग्रेस में फिर से कांग्रेस का अध्यक्ष पद गांधी परिवार से बाहर को मिलेगा? इतने बड़े परिवर्तन को कांग्रेस को कबूल करेगी? आइये चर्चा करते हैं इस पर।
गांधी परिवार से नहीं होना चाहिए अध्यक्ष
कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेताओं के समूह “जी-23” समूह और कांग्रेस आलाकमान के बीच तकरार चल रही है, जिसके सबसे बड़ा उदाहरण ग़ुलाम नबी आजाद जैसे दिग्गज नेताओं का खुलेआम पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोलने के बाद सामने आया है।
इस समूह का कहना ये है कि पार्टी में अध्यक्ष के पद को लेकर पारदर्शिता होनी चाहिए और नेतृत्व को लेकर तस्वीर सामने आनी चाहिए, ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा है क्योंकि कांग्रेस की स्थिति बहुत अच्छी नही है, इसी डर को चिंता की तरह पेश करते हुए ये समूह अपना पक्ष रख रहा है।
कौन बनेगा कांग्रेस का अध्यक्ष ?
वैसे तो कांग्रेस में दिग्गज नेताओं की कमी नही है, लेकिन कांग्रेस में बीतें 23 से 24 सालों से कोई दिग्गज इस योग्य नहीं रहा है जो कांग्रेस के अध्यक्ष पद तक पहुंच पाए, वरना पार्टी में दिग्विजय सिंह और कमलनाथ जैसे नाम हैं।
इसके अलावा राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के अलावा ग़ुलाम नबी आजाद इस योग्य हैं, हालांकि अभी तक किसी नाम पर चर्चा नहीं हुई है।
इन तमाम नेताओं के अलावा भी पार्टी का अध्यक्ष पद उन्हें दिया जा सकता है,जो पार्टी के वफादार हैं,लेकिन किसी एक नाम पर आखरी फैसला लिया जाना और नाम फाइनल कर देने तक मे बहुत बड़ा अंतर है,जिसे समझा जाना जरूरी है।
दरअसल कांग्रेस के राजनीतिक इतिहास के जानकार रशीद क़िदवई अपनी किताब में एक जगह लिखते हैं कि “इंदिरा गांधी ने अपने बेटे राजीव गांधी 2 अहम बातें समझाई थी जिसमे से एक थी कि कांग्रेस का अध्यक्ष किसी गैर गांधी परिवार के व्यक्ति तक नहीं जाना चाहिए।”
हैरानी की बात 25 सालों के इतिहास में अपवादों को छोड़ दें जिसमें सीताराम केसरी जैसे नेताओं का नाम है, किसी भी नेता को इस पद तक आने नही दिया गया है,और तो और इस तरह की चर्चा भी किया जाना गलत समझा जाता है, लेकिन अब राहुल गांधी खुद ऐसा चाह रहे हैं ये सामने आया है।
कांग्रेस की मौजूदा स्थिति और बदलाव क्यों जरूरी।
कांग्रेस पार्टी की मौजूदा स्थिति बहुत खराब है,पार्टी लगातार दो लोकसभा चुनाव हार चुकी है,और वो भी इतनी बुरी तरह से की नेता विपक्ष के पद तक के लिए उसे बहुत कोशिश करनी पड़ी थी,और पार्टी अगर कहीं विधानसभा चुनावों में कुछ अच्छा करती है तो नेतृत्व और संगठन की कमी ऐसी है कि पार्टी के विधायक भाजपा में चले जाते हैं।
हद तो ये है कि एक वक्त कांग्रेस में रहें कई बड़े नाम अब पार्टी का साथ छोड़ कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं और इसका बड़ा कारण नेतृत्व का नहीं होना ही है, अब ज़रूरत इस बात की है कि पार्टी जनता से डायरेक्ट जुड़े,और इसके लिए बहुत अहम ये है कि नेता,नीयत और नीति को ज़मीन पर उतार कर संघर्ष करने वाला कोई नेता पार्टी का अध्यक्ष पद सम्भाले।
अब देखना है कि होता क्या है,क्या पार्टी बड़ा रिस्क लेने जा रही है? क्या कोई गैर कांग्रेसी अध्यक्ष फिर से पार्टी की कमान संभाल लेगा? या फिर राहुल गांधी की ज़िद के आगे प्रियंका गांधी को तरज़ीह दी जाएगी? ये सारे सवाल उलझे हैं और इनके सुलझने में ज़्यादा वक़्त अब नही हैं।