पाकिस्तान के गवादर शहर में तब हड़कंप मच गया जब पाकिस्तान के निर्माता और “क़ायद ए आज़म” यानी सबसे बड़े नेता की हाल ही में लगाई गई मूर्ति को बम से उड़ा दिया गया। इस घटना के तुरंत बाद बलोचिस्तान प्रांत समेत पूरे पाकिस्तान में हंगामा खड़ा हो गया।
ये मूर्ति पाकिस्तान के बलोचिस्तान प्रान्त के गवादर शहर के मरीन ड्राइव एरिया में थी। इस मूर्ति को बम से उड़ाने की ज़िम्मेदारी पाकिस्तान ही के प्रतिबंधित संग़ठन “बलोच रिपब्लिकन आर्मी” ने ली है। इस संगठन प्रवक्ता बबगर बलोच ने ट्वीट करके इस बम धमाके की ज़िम्मेदारी ली है।
इस मूर्ति के गिराए जाने के बाद से ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान पर भी सवाल उठना शुरू हो गए हैं। क्योंकि अगर सबसे सुरक्षित शहर मानी जाने वाली जगह पर अगर देश का क़ायद ए आज़म की मूर्तियों को बम से उड़ाया जा सकता है तो और जगहों पर क्या हालात हो सकते हैं?
क्यों हुआ है ऐसा?
दरअसल बलोच प्रांत 1947 के वक़्त मिली आज़ादी के बाद से विवादों में रहा है। क्योंकि बलोचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है और क्षेत्रीय आधार से लेकर भौगोलिक आधार पर इसकी बनावट सबसे ज़्यादा अहमियत रखती है।
लेकिन जब से पाकिस्तान बना है तब से लेकर अब तक पूरे पाकिस्तान में “पंजाबी” बिरादरी के ही दबदबा रहा है। अब भी बलोचिस्तान क्षेत्र के गवादर शहर में चीन द्वारा भारी निवेश किया जा रहा है जिसका बलोच बिरादरी शुरु से ही भारी विरोध कर रही है।
इसलिए बीते 75 सालों से बलोचिस्तान मे पाकिस्तान और उसकी विचारधारा को लेकर विरोध होता रहा है। यही नहीं बलोचिस्तान को अलग देश बनाने को लेकर भी क्षेत्रीय लोग अपना विरोध जताते रहे हैं।
पाकिस्तान सरकार के सामने अपना विरोध भी मज़बूती से दर्ज कराते रहे हैं। गौर करने की बात ये भी है कि यहां होने वाले मानवाधिकार हनन के मामलों पर भारत भी अपना कड़ा रुख अपना चुका है।
पर्यटक बन कर आये थे आरोपी।
पाकिस्तान के पूर्व मेजर अब्दुल कबीर खान ने कहा कि “सभी विद्रोही पर्यटकों के रूप में क्षेत्र में प्रवेश किए थे और विस्फोटक लगाकर जिन्ना की प्रतिमा को नष्ट कर दिया। उनके मुताबिक अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।”
इससे पहले भी बलोच विद्रोही संगठन ने 2013 में भी जिन्ना की एक और मूर्ति को गिरा दिया था। जिसके बाद उस बिल्डिंग में भी भयंकर आग लग गयी थी।