सरकारी खर्चों में कमी के बाद भी क्यों घट रहा है राजस्व

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मोदी सरकार राजस्व में कमी की भरपाई के लिए चालू वित्त वर्ष 2021-22 की दूसरी छमाही में 5.03 लाख करोड़ रुपये का कर्ज ले रही है जी हाँ आपने ठीक पढ़ा पाँच लाख करोड़ का कर्ज।
यह लोग कहते हैं कि नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन से छह लाख करोड़ आएंगे सवाल यह है कि वह छह लाख करोड़ कब तक चलेंगे, जो राजकोषीय घाटा 2019-20 में जीडीपी का 4.6 प्रतिशत रहा था वही घाटा वित्त वर्ष 2020-21 में 9.3 प्रतिशत हो गया जबकि 2020-21 के बजट में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 3.5 फीसदी रहने का अनुमान रखा गया था।
कहा जा रहा है कि मुख्य रूप से राजस्व कम होने से राजकोषीय घाटा बढ़ा है।
यदि आपकी GST व्यवस्था इतनी ही अच्छी थी, हर महीने एक लाख करोड़ की एंट्री हो रही है तो राजस्व में कमी क्यो दर्ज की जा रही है ?
जबकि आपके खर्चे कम हुए हैं 2021-22 के पहले 4 महीनों में पेट्रोलियम प्रोडक्ट सब्सिडी मात्र 1,233 करोड़ रुपए पर रहने का अनुमान किया गया था। जबकि पिछले साल 2020-21 की इसी अवधि के 16,461 करोड़ रुपए सब्सिडी में खर्च किये गए थे
पेट्रोलियम प्रोडक्ट पर एक्साइज ड्यूटी से हर साल केंद्र सरकार रिकॉर्ड तोड़ कमाई कर रही है यानी वहाँ भी आमदनी बढ़ रही है, सरकारी नौकरी से रोजगार दिए नही जा रहे हैं, तो वहाँ भी बचत है अफसर रिटायर हो रहे हैं नयी नियुक्ति की नहीं जा रही है फिर आखिर पैसा जा कहा रहा है जो पाँच लाख करोड़ का कर्ज आगामी छह महीनों के लिए लिया जा रहा है ?
Girish malviya
यह लेखक के निजी विचार हैं.
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