शाहीन बाग़ सहित पूरे देश में CAA और NRC के विरोध में चल रहे आंदोलनों के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी के नेताओं, नरेंद्र मोदी सरकार के मंत्रियों और अन्य दक्षिणपंथियों के निशाने पर दिल्ली का शाहीन बाग़ और जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्र हैं। पहले जमिया और शाहीन बाग़ में दक्षिणपंथी विचारधारा से प्रभावित युवाओं द्वारा बंदूक चलाने की घटनाएं सामने आईं, फिर 4 फ़रवरी 2020 को हरियाणा से आए कुछ लोगों द्वारा जामिया के सामने रैली निकालकर “देश के गद्दारों को गोली मारो सालों को” नारे को बार बार दोहराया गया। यह विवादित शब्द तबसे चर्चा में हैं, जब इन शब्दों को केंद्र सरकार के मंत्री अनुराग ठाकुर द्वारा दिल्ली की एक चुनावी सभा में लगवाया गया।
अब शाहीन बाग़ के आंदोलन स्थल में दक्षिणपंथी विचारधारा के वीडियो बनाने वाली यूट्यूबर और ट्वीटर में भाजपा के समर्थन में और मुस्लिम विरोधी ट्वीट्स के लिए मशहूर गुंजा कपूर को बुर्का पहने पकड़े जाने के बाद से ही शाहीन बाग़ आंदोलन के विरुद्ध बड़ी साजिश का अंदेशा बढ़ गया है। सवाल ये उठता है, कि गुंजा कपूर आखिर क्यों बुर्के की आड़ में छुपकर शाहीन बाग़ पहुंची थीं। उन्हे अगर शाहीन बाग़ में वीडियो बनाना ही था, तो बिना अपनी पहचान छुपाये भी वो वहाँ जा सकती थीं। आखिर शाहीन बाग़ का आंदोलन किसी धर्म विशेष की महिलायें तो लीड नहीं कर रही हैं। फिर आखिर क्यों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ट्वीटर में फॉलो किए जाने वाली गुंजा कपूर अपनी पहचान छुपाकर शाहीन बाग़ पहुंची थीं।
A right wing activist caught in Shaheen Bagh trying to infiltrate by wearing a Burkha and faking her name
She is “Proud to be followed by Modi” on Twitter pic.twitter.com/l1zklov0io
— Dhruv Rathee 🇮🇳 (@dhruv_rathee) February 5, 2020
क्या शाहीन बाग़ और जामिया को निशाने में लेकर दक्षिणपंथी ताक़तें दिल्ली के चुनावों को सांप्रदायिक करना चाहते हैं। जैसा कि पहले भी पूर्वी दिल्ली के सांसद प्रवेश वर्मा के जहरीले बयान जिसमें वो अपने संसदीय क्षेत्र से अमस्जिदें हटाने की बात करते नज़र आते हैं। अनुराग ठाकुर के नारों का जिक्र मैं पहले ही कर चुका हूँ। इसी बीच देश के गृह मंत्री अमित शाह का वह बयान, जिसमें वो ईवीएम की बटन को इतने गुस्से में दबाने का आह्वान करते नजर आ रहे हैं, कि उसका करंट शाहीन बाग़ में लगे।
इन सारी घटनाओं से एक बात तो साफ नज़र आती है, कि ये आंदोलन भारतीय जनता पार्टी के नेताओं और दक्षिणपंथी ताकतों की सोच से बड़ा रूप ले चुका है, जो उन्हे अब हज़म नहीं हो रहा है। यही कारण है, कि इस आंदोलन के देश भर में फ़ाइल जाने के बाद अब इस आंदोलन को बदनाम करने की भरपूर कोशिशें की जा रहाई हैं। कभी महिलाओं को 500-500 रुपये और बिरयानी के लालच में बैठने वाला बताया गया। कभी गोलियों से आतंकित करने की कोशिश की गई, तो कभी गोदी मीडिया के और सरकार के हित में बात करने वाले चैनल्स और एंकर्स के जरिए बदनाम करने की कोशिशें हुईं।
गुंजा कपूर का शाहीन बाग़ में बुर्के में पकड़ा जाना, कोई मामूली घटना नहीं है। अपने सोशल मीडिया कंटेन्ट से मुस्लिम समुदाय के लिए नफ़रत फैलाने वाला कंटेनट गुंजा कपूर की वास्तविकता है। यदि गुंजा वहाँ थीं, तो इसका अर्थ साफ है कि शाहीन बाग़ को बदनाम करने के लिए दक्षिणपंथी ताक़तें किसी भी हद तक जा सकती हैं।