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कुलदीप सेंगर को दोषी करार देते हुए जज ने क्या टिप्पणी की ?

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उन्नाव रेप पीड़िता के मामले में तीस हजारी कोर्ट के जज ने बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर को दोषी क़रार देते हुए जो सीबीआई पर टिप्पणी की है, वह बताती हैं किस तरह से मोदी ओर योगी सरकार अपने विधायक को बचाने की कोशिश कर रहीं थीं।
सीबीआई की जाँच पर सवाल उठाते हुए जज साहब ने अपने फैसले में लिखा है, कि सीबीआई का रवैया पीड़ितों को परेशान करने वाला था। इस मामले में पीड़िता की तरफ से दिए गए बयान को जानबूझकर सीबीआई की तरफ से लीक किया गया। सबसे पहले तो इस मामले में सीबीआई ने चार्जशीट ही तकरीबन एक साल के लंबे फासले के बाद कोर्ट में दाखिल की, जिसका फायदा आरोपी को मिला।
सीबीआई ने कुलदीप सिंह सेंगर के फोन की जांच नहीं की। सीबीआई ने जिस नंबर की जांच की वो नंबर सेंगर इस्तेमाल नहीं कर रहा था, बल्कि सेंगर का पीए करता था। दरअसल, कोर्ट का इशारा इस तरफ था कि जांच एजेंसी अप्रत्यक्ष रूप से सेंगर का ही पक्ष मजबूत कर रही थी। सीबीआई को पॉस्को एक्ट की गाइडलाइंस का पालन न करने के मामले में भी कोर्ट ने फटकार लगाई है। लेकिन यह तो सिर्फ एक ही पहलू हैं आप यह देखकर हैरान रह जाएंगे कि उन्नाव रेप पीड़िता को किस तरह से कदम कदम पर योगी सरकार द्वारा प्रताड़ित किया गया है।
रेप पीड़िता का कहना है कि कुलदीप सिंह सेंगर और उसके सहायकों ने वर्ष 2017 में उसके साथ रेप किया था, जब वह उनके पास नौकरी मांगने गई थी। लेकिन जब इसकी शिकायत उसने पुलिस को की तो, पुलिस ने उसे भगा दिया। पीड़िता को मजबूर होकर यह कहना पड़ा कि पुलिस ने उसका केस दर्ज नहीं किया, तो वह लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवास के बाहर आत्महत्या कर लेगी।
इसके बाद एसआईटी ने जाँच की ओर उसने अपनी जांच में कहा कि विधायक के खिलाफ दुष्कर्म के पर्याप्त सबूत नहीं मिले हैं। पुलिस ने रेप पीड़िता के पिता को ही गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों के बजाय अपने पिता के खिलाफ कार्रवाई किए जाने से तंग आकर पीड़िता ने मुख्यमंत्री आवास के सामने आत्मदाह करने की कोशिश की। तब यह मामला मीडिया के संज्ञान में आया।
पीड़िता के आरोपों को सार्वजनिक करने के अगले ही दिन उसके पिता की पुलिस की हिरासत में ही मौत हो गई। इस घटना के बाद जनाक्रोश फैल गया, जिसके बाद विधायक के भाई अतुल सेंगर को हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया। बाद में विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को भी अप्रैल, 2018 में ही गिरफ्तार किया गया।
उसके बाद ही बढ़ते दबाव के कारण मुख्यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने बयान देना पड़ा कि अपराधी कोई भी हो, बख्‍शा नहीं जाएगा। लेकिन यूपी के डीजीपी उसे सिर्फ आरोपी ही बताते रहे , बोले ‘अभी सिर्फ आरोपी हैं विधायक’, बाद में पुलिस को पीड़िता के पिता को आर्म्स ऐक्ट के झूठे केस में फंसाने में सेंगर की संलिप्तता के सबूत मिले।
विगत 28 जुलाई 2019 को जब रेप पीड़िता अपनी मौसी, चाची और वकील के साथ लखनऊ जा रही थी, तब कार दुर्घटना हुई। इसमें चाची और मौसी की मौत हो गई, पीड़िता को बड़ी मुश्किल से बचाया जा सका और अब यह फैसला सामने आया है। जिसमे पता चला कि आरोपी विधायक को बचाने के लिए किस तरह से, क्या मोदी सरकार की सीबीआई, ओर क्या योगी सरकार की पुलिस, दोनों जमीन आसमान एक कर दिए थे।

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