यूपी चुनाव से पहले संघ प्रमुख ने की हिंदू मुस्लिम एकता की बात

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Sushma Tomar

रविवार 4 जुलाई को गाज़ियाबाद में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने शिरकत की। यह कार्यक्रम पीवी नरसिम्हन राव के सलाहकार डॉ ख्वाजा इफ्तिखार द्वारा लिखी गयी पुस्तक के विमोच के लिए रखा गया था। इस पुस्तक का नाम वैचारिक समन्वय एक व्यवहारिक पहल है। यह किताब हिंदी,अंग्रेज़ी और ऊर्दू समेत तीन भाषाओं में पब्लिश की गई है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने इस समारोह में कहा कि देश मे रहने वाले सभी लोगो का डीएनए एक है भले ही उनके धर्म भिन्न हो। वैसे डीएनए को लेकर बीजेपी के कई नेता पहले भी बयान दे चुके हैं। मोहन भागवत ने हिन्दू मुस्लिम एकता पर भी बात कही। उन्होंने कहा कि हिन्दू मुस्लिम एकता को लेकर भ्रम में न पड़े। ये दोनों अलग अलग नहीं है, बल्कि पहले से ही एक हैं। संकट की स्थिति तब आती है जब यह दोनों खुद को अलग समझने लगते हैं। भागवत ने आगे कहा कि राष्ट्र की प्रगति संगठित समाज के अस्तित्व के बिना नहीं हो सकती।

यूपी में चुनावो से पहले हिन्दू-मुस्लिम एकता को लेकर दिया बयान:

बता दें कि अगले साल यूपी में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और यूपी के चुनावों में मुस्लिम वोटर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जिस तरफ इस समुदाय का एकमुश्त वोट पड़ गया उनकी जीत पक्की मानी जाती है। ऐसे में गाज़ियाबाद में मुस्लिम मंच के आयोजन में भागवत का हिन्दू मुस्लिम एकता को लेकर दिया गया ये बयान चुनावी समीकरण में दखल दे सकता है। यह बात भी ध्यान रखने वाली है कि फ़िलहाल यूपी से लगातार धर्मांतरण से जुड़ी खबरें सामने आ रही है।

बीजेपी की डीएनए लीला:

ऐसा नहीं है की आरएसएस की तरफ़ से डीएनए को लेकर ये पहला बयान हो पहले बीजेपी के नेता डीएनए से संबंधित बयान दे चुके हैं।पूर्व केंद्रीय मंत्री अनंत हेगड़े ने डीएनए को लेकर राहुल गांधी पर तंज कसा था। उन्होंने कहा कि मुस्लिम बाप और ईसाई मां का बेटा ब्राह्मण कैसे हो सकता है।

2015 में मुज़फ्फरनगर की एक रैली में नीतीश कुमार का इशारों में ज़िक्र करते हुए उनके डीएनए में गड़बड़ की बात कही थी।2016 में मध्यप्रदेश बीजेपी के विधयक रामेश्वर शर्मा ने राहुल गांधी को आतंकवादी कहते हुए उनका डीएनए टेस्ट कराने की बात कही थी।

लोगो की पूजा पद्धति के आधार पर अंतर नहीं:

मोहन भागवत ने अपने भाषण में कहा कि हम चालीस हजार साल से एक ही पूर्वजो के वंशज है इसलिए हमारी पूजा पाठ् की पद्धिति को लेकर हममें अंतर नहीं किया जा सकता। हम सब चाहे किसी भी धर्म के हो लेकिन हम सब एक हैं। भागवत ने मोब लिंचिंग करने वालो को हिंदुत्व के खिलाफ बताया। उन्होंने आगे कहा कि हम लोकतांत्रिक देश मे रहते हैं और भारत मे हिन्दू या मुस्लिम का प्रभुत्व नहीं हो सकता यहाँ सिर्फ़ भारतीयों का प्रभुत्व हो सकता है।

पूरी एक सदी के घटनाओ पर आधारित है ख्वाजा इफ्तिखार की ये किताब:

दैनिक भास्कर डिजिटल वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार इस किताब की लॉन्चिंग पहले दिल्ली के विज्ञान भवन में होने वाली थी लेकिन कोरोना के कारण कार्यक्रम को लगातार टाला गया फिर अंत मे गाज़ियाबाद में इस कार्यक्रम का होना निश्चित हुआ।लॉन्चिंग से पहले इस किताब को धर्मगुरुओं, शिक्षाविदों और मुस्लिम समाज सहित 500 लोगो तक पहुंचाया गया था।
इस किताब में ख्वाजा इफ्तिखार ने 1920 से लेकर 2020 के घटनाक्रम को शामिल किया है।इसमें प्रमुख रूप से राम जन्मभूमि विवाद,पीवी नरसिम्हन राव द्वारा उस वक्त लिए गए फैसलों और पीएम मोदी की तारीफ जैसे विषय हैं।

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के प्रमुख इंद्रेश कुमार ने अपनी फ़ेसबुक पोस्ट में लिखा है कि हमेशा से हमे बताया गया है कि बीजेपी और आरएसएस मुस्लिम समाज के दुश्मन हैं। लेकिन यह किताब बताएगी की बीजेपी और आरएसएस से नफरत नहीं संवाद करना होगा।

विपक्ष ने किया भागवत पर पलटवार

मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके भागवत के बयान को मुहँ में राम बगल में छुरी वाला बताया है।उन्होंने आगे कहा कि मोहन भागवत का बयान किसी के गले से नहीं उतर रहा है।भागवत की करनी और कथनी में फ़र्क है।मायावती ने आगे कहा कि बीजेपी बिना आरएसएस के कुछ भी नहीं है।

वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भी भागवत के डीएनए और लिंचिंग वाले बयान पर पलटवार करते हुए कहा की संघ प्रमुख के अनुसार हिन्दू-मुस्लिम एक है,सभी भारतीयों का डीएनए एक है तो यह विचार अपने शिष्यों,विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल को देंगे?

दिग्विजय ने आगे कहा की अपने विचारों के प्रति ईमानदार है तो बीजेपी में उन नेताओ को पदों से हटाने का निर्देश दे जिन्होंने मुस्लिमों को प्रताड़ित किया है। हम पहले भारतीय है तो अपने शिष्यों को समझाइए वे मुझे कई बार पाकिस्तान जाने की सलाह दे चुके हैं।