क्या है अडानी और हसीना की मुलाक़ात की इनसाइड स्टोरी ?

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‘पहले कोई राष्ट्राध्यक्ष भारत आता तो देश के प्रधानमंत्री के साथ उसके फोटो अखबारों में छापे जाते थे अब कोई राष्ट्राध्यक्ष आता है तो उसके अडानी के साथ खींचे गए फोटो वायरल होते हैं ….बंगलादेश की शेख हसीना भारत में है उनकी गौतम अडानी से मुलाकात चर्चा का विषय बनी हुई है अडानी ने कहा कि हम 16 दिसंबर 2022 को विजय दिवस पर 1600 मेगावाट के गोड्डा पावर प्रोजेक्ट और बांग्लादेश को डेडिकेटेड ट्रांसमिशन लाइन की कमिशनिंग के लिए कमिटेड हैं।

दरअसल अडाणी ग्रुप की कंपनी अडाणी पावर ने झारखंड के गोड्डा में 1600 मेगावाट का थर्मल पावर प्लांट लगाया है। ट्रांसमिशन लाइन के जरिए बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड (BPDB) को बिजली की सप्लाई की जाएगी। मोदी ने 2016 में यह करार करवाया था इसकी पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2015 में अपने बांग्लादेश दौरे में की थी।

झारखंड भारत में सबसे कम बिजली उपलब्धता वाला राज्य है। कमाल की बात है कि वहा से बिजली बनाकर विदेश भेजी जा रही है इस प्लांट लगाने के नाम वहाँ बसे आदिवासियो को भगाया गया है स्थानीय नदी से भारी मात्रा में पानी लिया गया है कोयला ढुलाई के नाम पर रेलवे लाइन बिछाने के लिए किसानों की जमीनों को छीना गया है ताकि बांग्लादेश को महंगी बिजली सप्लाई की जा सके।

एक दिलचस्प तथ्य यह भी है कि गोड्डा के 1,600 मेगावाट के इस पावर प्लांट के निर्माण का ठेका अडानी ने चीन की कंपनी सेप्को-थ्री को दिया है।

झारखंड की पुरानी ऊर्जा नीति में स्पष्ट प्रावधान था कि झारखंड में लगने वाले और कोयले से चलने वाले किसी भी ऊर्जा संयंत्र की 25 फीसदी बिजली राज्य सरकार को मिलेगी जो इसे एक तय दर पर दी जाएगी लेकिन मोदी जी ने दबाव डाल कर इस सरकारी नीति को अडानी के हित मे मोल्ड करवा दिया।

सीएजी की ऑडिट रिपोर्ट में यह बताया गया कि ऐसा करने से झारखंड को बड़ा नुकसान होगा लेकिन उसे दरकिनार कर दिया गया।

मजे की बात यह भी है कि बांग्लादेश अडानी से बेहद महंगी बिजली खरीद सके इसलिए उसे कर्ज भी भारत से मुहैया करवाया गया है।

UPA के शासन के साल 2010 में भारत ने बांग्लादेश को एक अरब डॉलर का कर्ज देने का ऐलान किया था। यह कर्ज बिजली सड़क जैसी बुनियादी ढांचे से जुड़ी परियोजनाओं के लिए था उस वक्त NTPC ओर बांग्लादेश बिजली बोर्ड का नयी परियोजना के बारे में समझौता भी हुआ लेकिन मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद एनटीपीसी जेसी सरकारी कंपनी बाहर हो गई और अडानी पावर जैसी निजी कंपनियों से महंगी बिजली खरीदने को बांग्लादेश को राजी किया गया।

इस समझौते में बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड (बीपीडीबी) क्षमता शुल्क के रूप में 3.26 बांग्लादेशी टका (2.72 रुपये) प्रति किलोवाट घंटे का भुगतान करने के लिए सहमत हुआ, जो बांग्लादेश में किसी भी अन्य बिजली संयंत्र से अधिक है।

अदानी का मोदी ने बांग्लादेश से जो समझौता करवाया है उसके अनुसार बांग्लादेश को गोड्डा बिजली संयंत्र को वार्षिक क्षमता शुल्क 2,865.55 करोड़ टका (2,392.16 करोड़ रुपये) देना ही होगा, जो 2023 से शूरू हो जाएगा जबकि आजीवन क्षमता शुल्क 84,903.72 करोड़ टका (70,877.62 करोड़ रुपये) हैं। जी हां लगभग 71 हजार करोड़ ।

बांग्लादेश के संगठन बांग्लादेश वर्किंग ग्रुप ऑन एक्सटर्नल डेट (बीडब्ल्यूजीईडी) के सदस्य हसन मेहदी ने कहा कि …..”खर्च की गई राशि से केवल अदानी समूह को फायदा होगा, बांग्लादेश के लोगों को नहीं।” मेहदी ने कहा कि “इसके चलते लोगों और बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था को विशेष रूप से, एक अरबपति कंपनी की विलासिता के लिए भुगतना होगा जो हर साल अमीर हो रही है।”

अब आप समझे कि यह खेल कितना बड़ा है । मोदी जी ने ऐसे दांव बिठाकर यह इंतजाम कर लिया है कि उनकी पार्टी को अनंत काल तक चंदा मिलता रहे ताकि उनकी पार्टी को ‘ “खरीददारी” करने में कोई तकलीफ न आए।