पनामा पेपर्स लीक के बाद वैसा ही एक और लीक का मामला सामने आया पैराडाइज पेपर्स का. पैरेडाइज पेपर्स एक डाक्यूमेंट्स का सेट है. इसमें 1.34 करोड़ दस्तावेज़ लीक हुए हैं. इस लीक में दुनिया भर के हस्तियों के नाम शामिल हैं.
इन 1.34 करोड़ डॉक्युमेंट्स में करीब 1 लाख 20 हजार लोग और कंपनियों का नाम है. इन डॉक्युमेंट्स को जर्मन न्यूजपेपर ज़्यूड डॉयचे त्साइटुंग(Süddeutsche Zeitung) ने खोज निकाला है और इंटरनेशनल कॉन्सोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट (आईसीआईजे) इस पर काम कर रहे हैं. ये वही संस्था है जो पनामा पेपर्स की जांच कर रही थी. ये संस्था 96 बाकी न्यूज ऑर्गेनाइजेशन के साथ मिलकर काम कर रही है. इस लीक से जुड़े दस्तावेजों की जांच भारत में ‘इंडियन एक्सप्रेस’ कर रहा है, जिसने कई जानकारियों से पर्दा हटा है. इस डेटा में कुल 180 देशों के नाम हैं. इनमें से भारत का स्थान 19वां है. यहां के कुल 714 लोगों का नाम इस डेटा लिस्ट में है.
इसमें से अधिकतर जानकारी बर्मूडा स्थित एपलबी (Appleby) कंपनी से जुड़ी है, जो कि 199 साल पुरानी एक ‘ऑफशोर’ लॉ फर्म है. विदेशी कंपनियों के बैंक अकाउंट, निवेश और प्रॉपर्टी मैनेज करने का काम यही कंपनी कर रही थी. इन पेपर्स में ब्रिटेन की रानी एलिजाबेथ द्वितीय, कोलंबिया के प्रेसिडेंट जुआन मेनुअल सैंटोज, यूएस के कॉमर्स सेक्रेटरी विलबर रॉस, रूस के प्रेसिडेंट व्लादिमिर पुतिन के दामाद भी शामिल हैं. इनके अतिरिक्त भी विश्व भर से कई बड़ी-बड़ी हस्तियों के नाम शामिल हैं.
भारत के विभिन्न राजनैतिक दलों के राजनेताओं का नाम इन पेपर्स में है. बीजेपी से एविएशन मिनिस्टर जयंत सिन्हा और राज्यसभा सांसद आरके सिन्हा. कांग्रेस से अशोक गहलोत, सचिन पायलट और सांसद वीरप्पा मोईली. लेफ्ट से केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन. इसके अतिरिक्त अमिताभ बच्चन, विजय माल्या और मान्यता दत्त के नाम भी शामिल है.
जयंत सिन्हा ने प्रतिक्रया देते हुए कहा कि “मैंने सितंबर 2009 में मैनेजिंग निदेशक के तौर पर ओमिड्यार नेटवर्क जॉइन किया था. दिसंबर 2013 में मैंने इस्तीफ़ा दिया. ओमिड्यार नेटवर्क से 2010 में डिलाइट डिज़ाइन में निवेश की पहल के लिए मैं ज़िम्मेदार था. डिलाइट डिज़ाइन दुनिया की अग्रणी सोलर पावर कंपनियों में से एक है. इसके बाद मैं नवंबर 2014 तक डिलाइट डिज़ाइन के बोर्ड में रहा. दिसंबर 2013 तक मैं ओमिड्यार नेटवर्क के बोर्ड में प्रतिनिधि था. जनवरी 2014 से नवंबर 2014 तक बोर्ड में मैं एक स्वतंत्र निदेशक था. जब नवंबर 2014 में मंत्री बना तो बोर्ड मेंबर से इस्तीफ़ा दे दिया. मेरा इन कंपनियों से अब कोई संबंध नहीं है.
Full details have been provided to Indian Express. These were bonafide and legal transactions undertaken on behalf of highly reputed 1/n https://t.co/rWYEAZ1Rvy
— Jayant Sinha (@jayantsinha) November 5, 2017
world-leading organisations in my fiduciary role as Partner at Omidyar Network and its designated representative on the D.Light Board 2/n
— Jayant Sinha (@jayantsinha) November 5, 2017
All these transactions have been fully disclosed to relevant authorities through all necessary filings as required 3/n
— Jayant Sinha (@jayantsinha) November 5, 2017
After leaving Omidyar Network, I was asked to continue on the D.Light Board as an Independent Director 4/n
— Jayant Sinha (@jayantsinha) November 5, 2017
On joining the Union Council of Ministers, I immediately resigned from the D.Light Board and severed my involvement with the company 5/n
— Jayant Sinha (@jayantsinha) November 5, 2017
It is crucial to note that these transactions were done for D.Light as an Omidyar representative, and not for any personal purpose n/n
— Jayant Sinha (@jayantsinha) November 5, 2017
अब देखने वाली बात ये है कि सरकार का इन पेपर्स पर क्या रुख रहता है. या पनामा पेपर्स की तरह ही मामला ठंडे बसते में ही धकेल दिया जायेगा. इससे पूर्व जब पनामा पेपर लीक्स में कई भारतीयों के नाम आये थे. पर सरकार के ठंडे रुख के आगे कुछ कार्यवाही नहीं हुई.
अमिताभ बच्चन का नाम हार बार, पर नहीं हुई एक भी कार्यवाही
बालीवुड सुपरस्टार अमिताभ बच्चन का नाम पूर्व में पनामा पेपर लीक्स में भी आया था, पर उनपर उस समय भी कोई कार्यवाही नहीं की गयी. बल्कि उन्हें कई सरकारी प्रोग्राम्स का ब्रांड एम्बेसडर बना दिया गया था. पैराडाईज़ पेपर लीक्स में भी अमिताभ बच्चन का नाम निकलकर आया है. अब देखना ये है, कि काली संपत्ति रखने वाले in नामों के खुलासे के बाद सरकार क्या रुख अख्तियार करती है.