यूपी के मुस्लिमों के लिए भाजपा का क्या प्लान है

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यूपी चुनाव अभी 6 महीने की दूरी पर है,लेकिन गुपचुप और शांत तरीकों से राजनीतिक दलों ने तैयारियां अभी से शुरू कर दी हैं। समाजवादी पार्टी ने उम्मीदवारों के नामांकन मंगा कर उन पर चर्चा करनी शुरू कर दी है।

बसपा भी जल्द से जल्द अपने उम्मीदवारों के नाम फाइनल करने वाली है। वहीं सबसे आखिर में अपने उम्मीदवार देने वाली भाजपा इस बार कोई कमी नहीं छोड़ना चाहती है।

2017 में सत्ता में आई भाजपा जीत को बरकरार रखना चाहती है,क्यूंकि 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए 2022 का ये विधानसभा चुनाव सेमीफाइनल है।

इसलिए तमाम सोशल इंजीनियरिंग और क्षेत्रीय दलों और छोटे दलों को भाजपा साथ लाकर अपना वोटबैंक मज़बूत कर लेना चाहती है। इसके अलावा इस बार भाजपा कुछ अलग प्लान कर रही है। इस बार वो मुस्लिम वोटों पर भी ध्यान दे रही है,कैसे आइये बताते हैं।

भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा कर रहा खास तैयारी..

दरअसल भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मेराज सिद्दीकी ने एक यूपी चुनावों के लिए एक खास प्लान तैयार किया है। उनका कहना है कि “हम ये कोशिश करेंगें की यूपी की हर सीट पर कम से कम उन्हें 5000 मुस्लिम वोट ज़रूर मिलें” ये उनकी उस खास रणनीति का हिस्सा है जिसके लिए भाजपाई नेताओं को ट्रेनिंग भी दी जाएगी।

मेराज सिद्दीकी ने “नवभारत टाईम्स” से बात करते हुए कहा है कि “हम यूपी की सभी 403 विधानसभा सीट में मोर्चा के 50 मजबूत कार्यकर्ता चुनकर उन्हें ट्रेनिंग देंगे। 1 कार्यकर्ता को 100 वोट पार्टी के पक्ष में डलवाने की जिम्मेदारी होगी। तो इस तरह अल्पसंख्यक मोर्चा हर एक सीट पर 5000 मुस्लिम वोट की जिम्मेदारी ले रहा है। उन्होंने कहा कि यूपी में हर सीट पर कम से कम 25 हजार मुस्लिम वोटर हैं।

इस बार मुस्लिमों को मिलेगा टिकट.

भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चा राष्ट्रीय अध्यक्ष मेराज सिद्दीकी ने ये दावा किया है कि इस बार उनकी पार्टी मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट भी देगी , इन सीटों में सबसे अहम सीटें वो हैं जो जहां मुस्लिम उम्मीदवार 60 प्रतिशत हैं ऐसी सीटों पर पार्टी मुस्लिम उम्मीदवारों को उतारेगी और खुद वो वोट हासिल करते हुए दूसरी पार्टी का वोट लेकर नुक़सान करना चाहती है।

ये बात तब और ज़्यादा बेहतर तरह से समझ आती है जब 2017 के परिणामों के बाद क़रीबन 100 सीटें ऐसी थी जहां हार जीत का अंतर सिर्फ 10 से 15 हज़ार था और दो दर्जन सीटें ऐसी थी जहां हार या जीत सिर्फ 100 या 150 वोटों से तय हुई थी।

गौर करने वाली बात ये है कि अगर ये आंकड़ा थोड़ा इधर से उधर हो जाता तो आज रिज़ल्ट क्या होता? पिछले चुनावों में भजपा ने एक भी मुस्लिम को उम्मीदवार नहीं बनाया था।

बहरहाल भाजपा की ये रणनीति उनके हिसाब से शानदार है,क्योंकि हो या न हो वो इस तरह से एक तीर से दो निशाने वाला खेल करना चाहती है जहां मुस्लिमों को उम्मीदवार बनाकर “सबका साथ सबका विकास” वाली बात सही साबित कर रही है।

दूसरी बात,भाजपा के ये उम्मीदवार सपा और बसपा के उम्मीदवारों को नुक़सान पहुंचा सकते हैं और अपनी जीती हुई सीटों की संख्या बढ़ा सकते हैं।

अब देखना ये है कि क्या भाजपा की ये नीति कामयाब होगी? या अखिलेश यादव इसका कोई तोड़ ढूंढ लेंगें? देखते हैं क्या होता है.. अभी 6 महीनों में बहुत कुछ बदलने वाला है ।

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