मध्यप्रदेश का मालवा क्षेत्र इस समय सांप्रदायिक तनाव का केंद्र बना हुआ है। इस क्षेत्र का इतिहास ऐसे कई सांप्रदायिक तनावों से भरा हुआ है। फ़िलहाल उज्जैन से शुरू हुआ मामला, इंदौर ज़िले के चांदनखेड़ी और मंदसौर के पास एक गाँव तक पहुँच गया है। सभी घटनाओं के बाद पुलिस और प्रशासन पर मूकदर्शक बने रहने और घटनाओं पर एकतरफ़ा कार्यवाही करने का आरोप है। वहीं मीडिया का रोल इस पूरे घटनाक्रम में भड़काने वाली देखी जा रही है।
उज्जैन में जो हुआ वो बड़ी प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा था
उज्जैन में 25 दिसंबर को हुई घटना को सभी अखबारों, मीडिया चैनलों इत्यादि ने ये कहकर पेश किया था कि राम मंदिर के लिए चंदा करने के लिए निकाली गई रैली पर उज्जैन के बेगमबाग क्षेत्र में पथराव किया गया। बस क्या था इस तरह की खबरों की हेडिंग ने भड़काने का पुरजोर कार्य दिया? जबकि उज्जैन में हुई घटना बड़ी प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा थी।
- ऐसे समय में जब कोरोना के नाम पर संसद और विधानसभा नहीं चलाई जा रही है। बाईक रैलियाँ निकालने की परमीशन क्यों दी गई।
- उज्जैन का बेगमबाग एक संवेदनशील क्षेत्र माना जाता रहा है। इस मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में दक्षिणपंथी संगठनों के कार्यकर्ताओं को पुलिस ने भड़काऊ नारे लगाने से रोका क्यों नहीं ?
25 दिसंबर को उज्जैन में क्या हुआ था ?
उज्जैन में राम मंदिर निर्माण के नाम पर चंदा करने के लिए दक्षिणपंथी संगठनों के कार्यकर्ता बाईक पर सवार होकर निकले थे। ये भीड़ उज्जैन के मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र बेगमबाग पहुंचते हैं। वहाँ पर शुक्रवार के दिन बड़ी मात्रा में पहुंची यह भीड़ भड़काऊ नारे लगाती है। जिसके बाद दोनों ओर से झड़प शुरू हो जाती है, जोकि पथराव में बदल जाता है।
इस दौरान दक्षिणपंथी संगठनों के कार्यकर्ताओं और बेगमबाग के रहवासियों के बीच जमकर पथराव होता है। जिसके बाद भड़काऊ नारे लगाने वालेलोग वहाँ से भाग खड़े होते हैं। फिर पुलिस बल मामले को संभालता है और दक्षिणपंथी संगठनों के कार्यकर्ता वहाँ से भाग खड़े होते हैं। पूरे घटनाक्रम के बाद दूसरे और तीसरे दिन प्रशासन और पुलिस की कार्यवाहियाँ शुरू होती हैं, जिसके बाद पुलिस प्रशासन के ऊपर भेदभाव का आरोप लगता है।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, बेगमबाग क्षेत्र के लोग प्रशासन से बातचीत में लगे हुए थे इस दौरान नगर निगम के अमले ने उस क्षेत्र के घरों में अवैध निर्माण का हवाला देकर घर गिराने की कार्यवाही शुरू कर दिया था। सूत्रों के अनुसार जैसे ही प्रशासन को पता चलता है, की यह घर किसी हिन्दू का है और यहाँ पर एक मुस्लिम किराये से रहता है, उस घर को न तोड़कर अन्य दूसरे घरों पर कार्यवाही शुरू कर दी जाती है।
इसके अलावा इस क्षेत्र से बहुत से युवाओं को गिरफ़्तार किया गया और उन पर रासुका लगाया गया। कार्यवाही के दौरान शहर क़ाज़ी ने प्रशासन की इस कार्यवाही के खिलाफ़ मोर्चा संभालते हुए रहवासियों और प्रशासन के बीच पुल की भूमिका का निर्वहन किया और इस कार्यवाही के खिलाफ़ मोर्चा संभाला।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सोशल वर्कर मोहम्मद अयूब ने आरोप लगाया, “पत्थरबाजी की वीडियो के आधार पर अधिकारी उस घर को गिराने आए, जहां से एक महिला पत्थर फेंकती हुई दिखी. उन्हें पता चला कि घर एक हिंदू परिवार का है तो वो उसके पड़ोस वाला घर गिरा के चले गए.”
भाजपा नेता कर रहे हैं बेगमबाग का नाम बदलने की मांग
अब उज्जैन शहर के भाजपा नेता बेगमबाग का नाम बदलने की मांग कर रहे हैं, जिसके बाद काँग्रेस ने भाजपा के ऊपर बांटने की राजनीति करने का आरोप लगाया है। सवाल ये उठता है, कि क्या नाम बदलने से कानून व्यवस्था और अन्य मामलों में सुधार हो सकता है, या फिर ये सब सिर्फ़ अपनी राजनीति चमकाने का तरीका मात्र है।
इंदौर ज़िले की चांदनखेड़ी में क्या हुआ था ?
इस घटना के बाद इंदौर ज़िले के देपालपुर के चांदनखेड़ी ग्राम में हुई घटना की चर्चा ज़ोरों पर है, या यूं कहें की उज्जैन में हुई घटना और उसके बाद उस पर हुई भड़काऊ मीडिया रिपोर्टिंग के नतीजे पर इंदौर के चांदनखेड़ी में घटना घटित हुई है।
पुलिस के अनुसार, इंदौर के गौतमपुरा थानाक्षेत्र के चंदनखेड़ी गांव में मस्जिद के पास से एक रैली गुजर रही थी. जब वह रैली मस्जिद के पास पहुंची तो रैली में मौजूद लोगों ने नारे लगाने शुरू कर दिए. इसको लेकर दोनो पक्षों में पहले कहासुनी हुई और फिर मामला पत्थरबाजी और हिंसक झड़प में तब्दील हो गया.
इंदौर ज़िले के चांदनखेड़ी में 99 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है। स्थानीय लोगों के अनुसार , जब राम मंदिर के नाम पर चंदा इकट्ठा करने वाली भीड़ इस ग्राम में पहुंची तो स्थानीय मस्जिद के सामने बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ शुरू कर दिया गया और उसके बाद लगे भड़काऊ नारों के कारण स्थानीय निवासियों से रैली में शामिल लोगों का विवाद हो गया। जिसके बाद दोनों तरफ़ से झड़प और पथराव की घटना हुई।
इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह ने मीडिया में दिए अपने बयान में कहा है कि यह वर्ग विशेष का गाँव है और जब यहाँ से ये रैली निकल रही थी तब रैली का आखिरी हिस्सा जिसमें 100 के आसपास लोग होंगे। उनके ऊपर ग्राम के 20 – 25 लोगों ने पथराव किया जिसके बाद मामला बिगड़ गया, जिसे प्रशासन ने संभाला है। कलेक्टर के बयान और ग्रामीण सूत्रों के दावों में बड़ा फ़र्क नज़र आ रहा है।
भाजपा नेता ने दी गाँव को रौंदने की धमकी
देपालपुर क्षेत्र से पूर्व विधायक और भाजपा नेता मनोज पटेल ने इस घटना के बाद मीडिया से बात करते हुए बेहद आपत्तिजनक बयान दिया है। दरअसल मनोज पटेल ने कहा है की प्रशासन से बात हो गई है, रासुका भी लगेगा और अतिक्रमण भी तोड़े जाएंगे। और अगर कार्यवाही नहीं हुई तो सम्पूर्ण हिन्दू समाज इस गाँव को रौंदने आयेगा।
चांदनखेड़ी में हुई JCB की एंट्री
मनोज पटेल के इस बयान के बाद चांदनखेड़ी गाँव में JCB की एंट्री हुई और स्थानीय घरों के सामने के हिस्से को अतिक्रमण बताकर तोड़ा गया है। चांदनखेड़ी के 35 मुस्लिम युवाओं को गिरफ़्तार किया गया है जिसमें से 26 पर गंभीर धाराएं लगाई गई हैं। वहीं मंदिर के नाम पर चंदा लेने आई रैली के 5 लोगों पर केस दर्ज किया गया है। इस समय इंदौर, उज्जैन और देवास के आसपास कई क्षेत्रों में धारा 144 लगी हुई। पर सोशल मीडिया और मीडिया मेंलगातार भड़काऊ सामग्री परोसी जा रही है।