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माल्या को दिए गए क़र्ज़ के बारे में वित्त मंत्रालय को नहीं पता

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किंगफिशर के मालिक विजय माल्या पर तमाम बैंकों का करोड़ो रुपए का लोन है और भारत सरकार के भगौड़े हैं. माल्या इस समय यूके में हैं और उन्हें भारत वापस लाने के लिए मोदी सरकार लगातार अपनी कोशिशें कर रही है.
पर भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने केंद्रीय सूचना आयोग से कहा है कि उसके पास उद्योगपति विजय माल्या को दिए गए क़र्ज़ के बारे में सूचना नहीं है. इस पर सूचना आयोग ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि मंत्रालय का जवाब अस्पष्ट और कानून के अनुसार टिकने योग्य नहीं है.
मुख्य सूचना आयुक्त आरके माथुर ने राजीव कुमार खरे के मामले पर कहा कि वित्त मंत्रालय को आरटीआई संबंधिक अधिकारी के पास भेजनी चाहिए, जो इसकी सही जानकारी दे पाये.
दरअसल, राजीव कुमार खरे ने आरटीआई आवेदन के जरिये वित्त मंत्रालय से विजय माल्या को दिए गए कर्ज का ब्यौरा मांगा था. मंत्रालय ने शुरुआत में आरटीआई कानून के उन प्रावधानों का हवाला भी  दिया था, जिसके तहत सूचना मुहैया कराने से छूट प्राप्त है.
जबकि यहां गौर करने वाली ये बात है कि एक तरफ जहां वित्त मंत्रालय ने कहा है कि उसके पास विजय माल्या द्वारा लिए गए लोन के बारे में जानकारी नहीं है, लेकिन इससे इतर वित्त मंत्रालय संसद में पहले भी जवाब दे चुका है और उसने संसद में इस बात की जानकारी दी थी कि विजय माल्या के पास बैंकों का कितना कर्ज है.
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री संतोष गंगवार ने 17 मार्च 2017 को माल्या से जुड़े एक सवाल का जवाब देते हुए का था कि जिस व्यक्ति के नाम का उल्लेख किया गया उसे को 2004 में क़र्ज़ दिया गया और फरवरी 2008 में उसकी समीक्षा की गई. उन्होंने कहा था कि, “साल 2009 में 8040 करोड़ रुपये के क़र्ज़ को एनपीए घोषित किया गया और 2010 में एनपीए को रिस्ट्रक्चर किया गया.”
पिछले वर्ष 21 मार्च को गंगवार ने संसद में बताया था कि पब्लिक सेक्टर बैंकों ने जो जानकारी दी है उसके अनुसार अभी तक सिर्फ 155 करोड़ रुपए ही माल्या से हासिल किए जा चुके हैं, इस राशि को ऑनलाइन मॉल्या की संपत्ति की नीलामी करके हासिल किया गया है.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने नोटबंदी के दौरान एक बहस के दौरान भी 16 नवंबर 2016 को राज्यसभा में इस मामले में बयान देते हुए कहा था कि माल्या को जो लोन दिया गया है वह भयावह विरासत की तरह है, जोकि एनडीए सरकार को यूपीए सरकार से मिली है
इतना कुछ होने के बावजूद आरटीआई के तहत दिए गए आवेदन पर वित्त मंत्रालय ने जानकारी उपलब्ध नहीं कराई, जिसके बाद इस मामले को सीआईसी के समक्ष लाया गया था.
इससे पहले वित्त मंत्रालय ने खरे को बताया कि आरटीआई के तहत माल्या के बारे में जानकारी नहीं दी जा सकती है क्योंकि यह व्यक्तिगत सुरक्षा के तहत है जो कि सरकार की आर्थिक मुद्दे को प्रभावित कर सकता है.
सीआईसी ने अपने जवाब में कहा कि जो जानकारी मांगी गई है वह मुमकिन है कि संबंधित बैंकों और आरबीआई के पास मौजूद होगी.

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