सुबह जब फेसबुक खोला तो पहली खबर मिली की हाथरस की, गैंगरेप पीड़िता का अंतिम संस्कार रात में ही कर दिया गया। चुपके से किये गये इस अंतिम संस्कार के निर्णय में घर और परिवार के लोग सम्मिलित नहीं थे। रात में ही शव अस्पताल से निकाल कर बिना घर परिवार की अनुमति और सहमति के शव का अंतिम संस्कार कर दिया ।
ABSOLUTELY UNBELIEVABLE – Right behind me is the body of #HathrasCase victim burning. Police barricaded the family inside their home and burnt the body without letting anybody know. When we questioned the police, this is what they did. pic.twitter.com/0VgfQGjjfb
— Tanushree Pandey (@TanushreePande) September 29, 2020
यह कृत्य बेहद निर्मम और समस्त विधि विधानों के प्रतिकूल है। अगर शव लावारिस या लादावा है तो उस शव का उसके धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार करने का प्राविधान है। पुलिस ऐसे लावारिस और लादावा शवों का अंतिम संस्कार करती भी है। लेकिन यहां तो शव घरवाले मांग रहे थे और फिर भी बिना उनकी सहमति और मर्ज़ी के उसका अंतिम संस्कार कर दिया जाता है। जबकि पीड़िता का शव न तो लावारिस था और न ही लादावा।
कभी कभी किसी घटना जिसका व्यापक प्रभाव शांति व्यवस्था पर पड़ सकता है और कानून व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न हो सकती है तो ऐसे शव के अंतिम संस्कार चुपके से, पुलिस द्वारा कर दिए जाते हैं। लेकिन ऐसे समय मे भी अगर शव लावारिस और लादावा नहीं हैं तो घर परिवार को विश्वास में लेकर ही उनका अंतिम संस्कार होता है।
गैंगरेप की इस हृदयविदारक घटना से लोगो मे बहुत आक्रोश है और इसकी व्यापक प्रतिक्रिया हों भी रही है। अब जब इस प्रकार रात के अंधेरे में चुपके से अंतिम संस्कार कर दिया गया है तो इससे यह आक्रोश और भड़केगा। यह नहीं पता सरकार ने क्या सोच कर इस प्रकार चुपके से रात 2 बजे अंतिम संस्कार करने की अनुमति दी।
यह निर्णय निश्चित रूप से हाथरस के डीएम एसपी का ही नहीं रहा होगा। बल्कि इस पर शासन में बैठे उच्चाधिकारियों की भी सहमति होगी। ऐसे मामले जो मीडिया में बहुप्रचारित हो जाते हैं, अमूमन डीएम एसपी के निर्णय लेने की अधिकार सीमा से बाहर हो जाते हैं। मुझे लगता है, इस मामले में भी ऐसा ही हुआ होगा।
सवाल उठेंगे कि आखिर पुलिस ने ऐसा क्यों किया और किस घातक संभावना के कारण ऐसा किया गया ? सरकार कहेगी कि, इससे कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है। पर यह घटना और अपराध खुद ही इस बात का प्रमाण है कि कानून और व्यवस्था तो बिगड़ ही चुकी है। आधी रात का यह अंतिम संस्कार, व्यवस्था का ही अंतिम संस्कार लगता है और यह सब विचलित करने वाला है।