रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग को पूरा एक साल होने को आ रहा है लेकिन अभी भी इन दोनों देशों में तनाव उतना ही है। साथ ही आपको बता दें रूस और यूक्रेन दोनों ही अपनी लड़ाई में पीछे नहीं हटना चाहते हैं। इन दोनों देशों के तनाव की वजह से समय-समय पर बातचीत होती रहती है। शुक्रवार 30 दिसंबर (2022)को रूस के राष्ट्रपति पुतिन और शी जिनपिंग के बीच वीडियो कॉल पर बात हुई उन्होंने अपने दोनों देशों के तनाव को लेकर काफी बातें की उन्होंने यह भी कहा कि हम दोनों अपनी आर्मी के बीच संबंध बढ़ा सकते हैं। बातचीत के दौरान राष्ट्रपति पुतिन ने चीनी राष्ट्रपति को मास्को की यात्रा मे आने के लिए न्यौता भी दिया।आपको यह भी बता दें कि आखरी बार राष्ट्रपति पुतिन और शी जिनपिंग की मुलाकात सितंबर में उज्बेकिस्तान में हुई थी। दोनों राष्ट्रपतियों ने वीडियो कॉल के जरिए अपने देश के तनाव को लेकर सैन्य सहयोग बढ़ाने के लिए कहा. शी जिनपिंग और पुतिन के बीच लगभग 8 मिनट तक बात हुई उन्होंने बातचीत के दौरान देश के तनाव को लेकर सैन्य सहयोग बढ़ाने के लिए भी कहा है।
मॉस्को आने के लिए किया आमंत्रित
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शी जिनपिंग आने वाले साल न्यू ईयर 2023 में बसंत के मौके पर मॉस्को आने के लिए आमंत्रित किया है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के समय पुतिन ने बातचीत के दौरान कहा कि हम रूस और चीन के बीच छिड़ी जंग और साथ ही उनके बीच तनाव और संबंधों को पूरी तरह सही करने की पूरी कोशिश है। उन्होंने यह भी कहा कि हम दोनों अपने देशों की मदद भी करेंगे। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान पुतिन ने शी जिनपिंग को बड़े ही प्यार से डियर मित्र कहकर पुकारा। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान बातचीत करते हुए यह बताया है कि रूस चीन के तेल और गैस के प्रमुख सप्लायर में से एक है उन्होंने बताया है कि 2022 के पहले 11 महीनों में पावर ऑफ साइबेरिया पाइपलाइन के के सहायता से चीन को लगभग 13.8 बिलियन क्यूबिक मीटर गैस भेजी गई थी। उन्होंने यह भी बताया कि पिछले महीने रूस ने सऊदी अरब को पीछे छोड़ कर चीन का टॉप ऑयल सप्लायर बना था।
रूस और चीन के बीच बढ़ती परेशानियां
आपको बता दें कि वर्तमान में दुनिया में सबसे शक्तिशाली और ताकतवर देशों में रूस और चीन भी है। इन दोनों देशों के ऊपर संकटों का साया मंडरा रहा है। एक तरफ चीन जो एक बार फिर से कोरोना के संकटों से जूझ रहा है और साथ ही रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग और उनके बीच जंग मे लगी हुई आर्थिक पाबंदियों से भी जूझ रहा है। विदेशी मीडिया रिपोर्टर के अनुसार युद्ध ने रूस के लिए चीन की अहमियत को और भी बढ़ा दिया है।
दोनों देशों के बीच कम हुआ तनाव
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान पुतिन ने कहा कि हमारी राजनीतिक तनाव के बीच रूस और चीन के बीच राजनैतिक भागीदारी और भी मजबूत होते दिखाई दे रही है। यह भी कहा जो दोनों देशों के बीच संबंधों में निकटता आई है वह भी आने वाले समय में पूरी तरह कम हो जाएगी। बातचीत के दौरान जिनपिंग ने अपने बयान में कहा है कि दुनिया में जारी कठिनाइयों और मुश्किल हालातों के बीच चीन रूस को पूरी तरह रणनीतिक सहयोग देने के लिए तैयार है। पुतिन ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान यह भी कहा है कि हमें उम्मीद है कि आप हमारे आमंत्रित को स्वीकार करेंगे और जल्द ही रूस के दौरे पर आएंगे।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन चीन के राष्ट्रपति से कहा की दोनों देशों के संबंध इतिहास ही अच्छे रहे हैं। और इसके साथ भी पुतिन ने इस बात पर जोर दिया इस बात की चीनी सेना रूसी सेना का यूक्रेन से युद्ध करने में सहयोग करें। अगर रूसी मीडिया की माने तो राष्ट्रपति शी जिनपिंग का कहना है कि वह उसके साथ राजनीतिक सहयोग बहुत ही ज्यादा ऊंचे स्तर पर और वैश्विक स्तर पर बढ़ाना चाहते हैं इसके साथ ही वह पूर्ण रूप से रूसी सेना का सहयोग करने के लिए तत्पर है। अगर अभी रूस और चीन दोनों ही संकट से जूझ रहे हैं। जानते हैं 24 फरवरी 2023 से यूक्रेन और रूस को युद्ध के हुए 1 साल हो जाएगा लेकिन यह युद्ध रुकने का नाम नहीं ले रहा है और इसी के चलते रशिया के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सीलिपिंग से सहयोग मांगा है इससे यह जाहिर होता है कि सैन्य के मामले में रसिया की स्थिति ठीक नहीं है । दूसरी और चीन को देखें तो चीन जैसे विशाल देश में कोरोना महामारी का प्रकोप पूरे देश भर में फैला हुआ है अभी तक कई लोगों की मौतें हो चुकी हैं।
इस समय रूस पर बहुत ज्यादा दबाव पड़ रहा है क्योंकि यूक्रेन को पश्चिमी देश जैसे अमेरिका ब्रिटेन बहुत आधिक समर्थन दे रहे हैं। अगर अमेरिका को देखे तो अमेरिका पैसे के साथ ही अपनी पैट्रिएट मिसाइल सिस्टम भी दे चूका है और वही दूसरी ओर बाकी के पश्चिमी देश हथियार की सप्लाई कर रहे हैं। जिसका नतीजा यह हुआ है कि यूक्रेन अब रूसी कब्जो को खाली कराने लगा है और रूस को कई शहर छोड़ने पडे है ।