केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों को लेकर पिछले एक साल से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान आंदोलन कर रहे है। आने वाले समय मे जिन राज्यो में विधानसभा चुनाव होने हैं वहाँ भी किसान कानूनों का विरोध कर रहे हैं। वहीं अक्टूबर ममहिने की शुरुआत में यूपी के लखीमपुर खीरी में हुए किसानों के नरसंघार को लेकर बैठके तेज़ है। ऐसे में 30 अक्टूबर को नई दिल्ली में भाजपा किसान मोर्चा की कार्यकारिणी बैठक होना तय हुई है। इस बैठक की अध्यक्षता भाजपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष और सांसद राजकुमार चाहर करेंगे, वहीं केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तौमर भी बैठक में शामिल होंगे।
चुनावी राज्यो में पहुंच बनाने पर होगा विचार :
दैनिक जागरण के हवाले से, पिछले एक साल से किसान कानूनों के विरोध में धरने पर बैठे हैं। वहीं महीने की शुरुआत में लखीमपुर खीरी हिंसा में चार किसानों समेत नौ लोगो की मौत के बाद से किसी भी बैठक की महत्ता बढ़ गयी है। ऐसे 30 अक्टूबर को दिल्ली में होने वाली भाजपा किसान मोर्चा की बैठक में इस बात पर विचार किया जाएगा की चुनावी राज्यो में पार्टी की पहुंच कैसे बढ़ाई जाए। गौरतलब है कि बैठक की अध्यक्षता किसान मोर्चा के अध्यक्ष राजकुमार चाहर करने वाले हैं।
लखीमपुर हिंसा में SIT की मांग :
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दिल्ली में हुई एक प्रेसवार्ता में संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओ ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल (SIT) की मांग की है। वहीं इससे पहले किसान मोर्चा केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा और उनके बेटे की गिरफ्तारी की मांग की है।
अजय मिश्रा की उनके पद से बर्खास्तगी की बात भी लागातर की जा रही हैं। दूसरी और भारतीय किसान यूनियन के प्रमुख राकेश टिकेट ने लखीमपुर हिंसा में कार्यकर्ताओं की हत्या करने वाले प्रदर्शन करियो को दोषी नहीं माना है। उनका कहना है कि प्रदर्शनकारी किसानों अन्य लोगो के गाड़ी से कुचल जाने के बाद प्रतिक्रिया कर रहे थे।
380 किसानों की हो चुकी है मौत :
जानकारी के मुताबिक लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा से किसानों में खासा विद्रोह देखने को मिल रहा है। जिसके एवज में 18 अक्टूबर को रेल रोको आंदोलन किया जाना है। इतना ही नहीं 26 अक्टूबर को लखनऊ में महापंचायत भी आयोजित की जाएगी। आंदोलन पर किसानों का कहना है कि 25 राज्यो के किसान इस दौरान आंदोलन कर रहे हैं और अब तक लगभग 380 किसान अपनी जान गवां चुके हैं। उत्तर प्रदेश जैसे राज्यो में किसानों के लिए दमनकारी नीतियां अपने जा रही है।