ऐसे बनीं थी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी

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आइए आज थोड़ा इतिहास का ज़िक्र करते है,जब ब्रिटिश हुकूमत उरूज पर थी,उनकी मर्ज़ी के बिना पत्ता भी नही हिलता था,पूर्व से लेकर पश्चिम तक और उत्तर से लेकर दक्षिण तक सिर्फ उनका और उनकी हुक़ूमत का बोलबाला था,जो भी उनके विरुद्ध होता था उसे या तो फांसी पर चढ़ा दिया जाता था,या ताउम्र की सज़ा के लिए जेल में डाल दिया जाता था,और सोचिये उस वक़्त में उनकी हुक़ूमत में कोई अंतराष्ट्रीय स्तर का “कॉलेज” खोल ले तो?

कोई उस स्कूल में टेक्नोलॉजी, इतिहास,दर्शन और विज्ञान का भंडार कर दे तो? क्या आप यक़ीन कर सकते है? ऐतिहासिक समझ रखने वाले जान सकते है कि यह हुआ था,और इस होने का ही मामला है आज हम “अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी” देखते हैं और उसमे से निकले देश का नाम रोशन करने वाले “अलीग” निकलते है,और यह कारनामा किया था सर सैयद खान ने,17 अक्टूबर के दिन उन्ही की योमे पैदाइश का दिन है।

आज हम जब भारतीय मुस्लिमों के पिछड़ेपन की बात करते है,उसका ज़िक्र करते है,या इसी मुद्दे पर आई “सच्चर कमिटी” का ज़िक्र करते है तो उसमें शिक्षा एक बहुत बड़ा मुद्दा होता है,क्योंकि भारतीय मुस्लिम समुदाय शिक्षा के क्षेत्र में न के बराबर है,और यही वजह भी है कि आज मुस्लिम समाज बेहद पिछड़ा है,राजनीतिक और सामाजिक तौर पर कमज़ोर है।

मगर आज से 146 साल पहले सर सैयद ने इस बारे में सोचा था, इस चीज़ की कोशिशें की थी और यक़ीन मानिये यह बहुत बड़ा काम था बहुत बड़ी कोशिश थी,लेकिन ज़रूरत है इस चीज़ को समझा जाये,कोशिश की जाए बदलाव किया जाए।

मगर उनकी यह कोशिश आसान नही थी और यह चीज़ सिर्फ इसलिए ही नही है कि सर सय्यद ने अंग्रेजों की हुकूमत के वक़्त “ऐंग्लो मोहम्मडन स्कूल” खोला था,बल्कि इसलिए कि खुद मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भी उनका विरोध किया था उन्हें “अंग्रेज़ो का एजेंट” कहा था, लेकिन सच यह है कि उस वक़्त सर सैयद के पास दो ही ऑप्शन थे पहला यह कि वो सबकी बातों का जवाब देते या “शिक्षा” से जवाब देते और सब जानते है कि उन्होंने दूसरा रास्ता चुना,और उसका फल हमारे सामने है।

आज सर सैयद का तामीर किया कॉलेज जो यह यूनिवर्सिटी बन चुका है और देश से लेकर विदेश तक “कौम” “वतन” और “समाज” का नाम रोशन कर रहा है,आज सर सैयद के तामीर किये गए इस संस्थान से सैकड़ों,हज़ारों से लेकर लाखों ऐसे स्टूडेंट्स है जो पढ़ रहे है,समाज मे काम कर रहे है और दुनिया के सामने पढाई की अहमियत को बता रहे हैं।

सर सैयद की तमाम की गई चीजों से लेकर,कही गयी और लिखी गयी चीजों से लेकर उनके इतिहास से समझने वाली,जानने वाली बात यह है की आप “जवाब” तो दे सकते है,मगर वो जवाब फिर ऐसा हो की उससे सदियों तक ज़ुबानों ओर ताले लग जाये,यक़ीन मानिये यह वही जवाब था।

146 साल पुराने कॉलेज के तामीर किया जाने वाला,समाज मे बदलाव लाने वाला और “जवाब” देने वाला यह संस्थान आज भी बार बार बस यही कहता है की पढो,क्योंकि पढ़ने के बाद आपका जवाब दमदार होता है,आपके जवाब में दम होता है,बस ज़रूरत यह है कि इस बात को समझ लिया जाए और जान लिया जाए…

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