समाजवादी पार्टी 2022 के चुनावों की तैयारियों में ज़ोर शोर से लगी हुई है। पार्टी कोई भी कमी ऐसी नहीं छोड़ना चाहती है जो उन्हें 2017 की तरह सत्ता से दूर कर दे। लेकिन गौर करने वाली बात ये है इस बड़ी तैयारी और मुश्किल वक़्त में समाजवादी पार्टी के संस्थापक और दिग्गज नेता आज़म खान मौजूद नही है।
आज़म खान जेल में हैं और अपने ऊपर लगे क़रीबन 100 मुकदमों को झेल रहे हैं। इस बीच 2022 का विधानसभा चुनाव आ गया है और आज़म खान की गैर मौजूदगी में मुस्लिम समाज को लुभाने और उनकी भागीदारी को लेकर अखिलेश यादव खुद चिंतित हैं। क्योंकि कांग्रेस मुस्लिमों पर लगातार डोरे डाल रही है और ओवैसी यूपी में एंट्री भी कर चुके हैं। लेकिन अखिलेश यादव ने अपने कोर कहे जाने वाले मुस्लिम समाज के नेताओं को फिर से अपने साथ जोड़ना शुरू कर दिया है। क्योंकि मुस्लिमों को भरोसे में लेना अखिलेश यादव के लिए काफी ज़रूरी हो जाता है। कौन कौन हैं ये मुस्लिम नेता आइये जानते हैं।
ये मुस्लिम नेता अखिलेश के साथ आ रहे हैं।
बदायूं लोकसभा के पूर्व सांसद और दिग्गज समाजवादी पार्टी के नेता रहें इक़बाल शेरवानी ने एक बार फिर से अपने पुराने घर मे वापसी कर ली है। जिसके बाद बदायूं और आस पास के क्षेत्र में भी प्रचार और प्रसार करते हुए नज़र आ सकते हैं। समाजवादी पार्टी द्वारा धर्मेंद्र यादव को लोकसभा का उम्मीदवार बनाने पर कांग्रेस में चले जाने वाले इक़बाल शेरवानी अब सपा में नया कद पाएंगे।
वहीं बीते कुछ दिनों पहले बाहुबली और मऊ विधानसभा से विधायक मुख़्तार अंसारी के भाई सिबगतुल्लाह अंसारी और उनके बेटे ने भी समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया था और बसपा द्वारा मुख्तार अंसारी के टिकट काटे जाने के बाद चर्चा ये भी है कि इस परिवार के सांसद भाई अफ़ज़ाल अंसारी भी सपा जॉइन कर सकते हैं।
इसके अलावा पश्चिमी यूपी में शाहिद मंजूर जो पूर्व केबिनेट मंत्री और विधायक रहे हैं पश्चिमी यूपी के क्षेत्र मे मुस्लिम वोटों पर दबदबा रखते हैं। अखिलेश इस बार भी उन्हें मेरठ ज़िलें की किठौर विधानसभा से उम्मीदवार बनायेंगें जिसका असर आस पास की कई सीटों पर भी होगा।
वहीं पूर्व में बसपा में रहें धौलाना विधानसभा से विधायक असलम चौधरी और असलम राइनी भी समाजवादी पार्टी में शामिल हो चुके हैं और अखिलेश यादव के कंधों को मजबूत कर रहे हैं यहां गौर करने वाली बात ये है कि अखिलेश यादव इन्हें फिर से उम्मीदवार बना सकते हैं।
क्या होगा मुस्लिमों पर असर?
दरअसल उत्तर प्रदेश में मुस्लिम वोटर की बहुत बड़ी संख्या फिलहाल समाजवादी पार्टी की तरफ आकर्षित हैं। क्योंकि उन्हें कोई भी बहुत मजबूत ऑप्शन नज़र नहीं आ रहा है। लेकिन ये भी बहुत हद तक सच है कि अखिलेश यादव के होते हुए भी मुस्लिम वोटर्स असदुद्दीन ओवैसी को पसन्द कर रहे हैं।
इसलिए ही अखिलेश यादव की चिंताएं बढ़ रही है और वो मुस्लिमों को अपने पास से छिटकने नहीं देना चाहते हैं। और लगातार पूर्व मुख्यमंत्री मुस्लिमों को लुभाने में लगे हैं। लेकिन ये जितना आसान दिख रहा है ज़मीन पर कितना सही है या गलत ये सच अभी सामने आना बाकी है।
लेकिन अखिलेश यादव के लिए मुस्लिम समाज का वोट संजीवनी बूटी है। इसलिए वो कभी भी नहीं चाहेंगे कि मुसलमान उनसे दूर रहे इसलिए ही उन्होंने अभी से मुस्लिमों के बीच मेहनत करना और मुस्लिम नेताओं से ज़मीन पर मेहनत करने का आदेश दे दिया है।