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गज़ल – मैं काँपने लगा हूँ दूरियाँ बनाते हुए
मैं काँपने लगा हूँ दूरियाँ बनाते हुए मुहब्बतों से भरी कश्तियाँ डुबाते हुए गुज़र गई है फकत सीढियाँ बनाते हुए कराबतों से भरी क्यारियाँ सजाते हुए...