गांधी के साथ,या गांधी के ख़िलाफ़?
एक एक कर बारी बारी चारों गोलियाँ सीने को चीरते हुए उसमे समा गई और महज़ उन बंदूक से निकले बारूद ने एक युग को,एक समाज...
एक एक कर बारी बारी चारों गोलियाँ सीने को चीरते हुए उसमे समा गई और महज़ उन बंदूक से निकले बारूद ने एक युग को,एक समाज...
2 अक्टूबर साल का इकलौता ऐसा दिन था.. जिस दिन सत्य, अहिंसा की कहानियां सुनाई जाती थीं.. बताया जाता था की कैसे बिना हिंसा के भी...
बहुत दिन बीते हमारे मुल्क में गाँधी जी पैदा हुए थे। बड़ी लड़ाई लड़ी उन्होंने। अपने मुल्क में भी और दीगर देश में भी। दूसरों की...