स्वीकार करने की ताक़त (Power of Acceptance)———————-
क्या हमने कभी भी जिंदगी में ऐसा करने की कोशिश की है, अगर नहीं तो, आज ही सिर्फ 24 घंटे के लिए ये करके देखिये, ऐसा सोचते ही, हम कितना हल्का महसूस करते हैं, ……
1. मालिक अपने कर्मचारी को या कर्मचारी अपने मालिक को.
2. पति अपनी पत्नी को या पत्नी अपने पति को.
3. अध्यापक अपने छात्र को या छात्र अपने अध्यापक को.
4. माता पिता बच्चों को या बच्चे माता पिता को.
5. एक रिस्तेदार दूसरे रिस्तेदार को ….
6. एक पड़ोसी दूसरे पड़ोसी को …..
7. एक दोस्त दूसरे दोस्त को
8. एक इंसान दूसरे इंसान को.
(a) “स्वीकार करें जैसे वे हैं, जी हाँ जैसा वे हैं, न की जैसा हम उनको देखना चाहते हैं.”
(b) “मन ही मन “माफ़ करिये” दूसरों को उनकी सभी गलतियों के लिए”.
और “मन ही मन “माफ़ी मांगिये” दूसरों से अपनी गलतियों के लिए”.
मित्रों निवेदन :- इस काम को “अभी से सिर्फ 1 दिन (24 घंटे)” के लिए ही करना है.
मित्रों ध्यान रहे इस काम को करके हम कितना अच्छा और हल्का महसूस करेंगे और इससे हमें कितनी ख़ुशी मिलेगी, इस बात का अंदाजा हमें “अगले मिनट से लेकर 24 घंटे के अंदर” लग जायेगा और उसके बाद हमारा मन बार बार ये कहेगा कि :-
“अगर गम के पास तलवार है तो, मैं उम्मीद की ढाल लिए बैठा हूँ..!
ऐ जिंदगी ! तेरी हर चाल के लिए मैं एक चाल लिए बैठा हूँ …”
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