विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने राज्यसभा में अपने बयान में इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि 2014 में जो 39 भारतीय इराक गए थे वो सभी मारे जा चुके हैं. ज्ञात होकि आईएसआईएस के कब्जे के पहले ये सभी लोग रोजी-रोटी की तलाश में पंजाब से इराक गए थे.
ईराक में आईएसआईएस के क़ब्ज़े के बाद ये 39 भारतीय नौजवान ईराक़ के शहर मोसुल में फंसे हुए थे. जिन्होंने एक विडियो के ज़रिये खुदको बचाने की गुहार भारत सरकार से लगाईं थी. जिसके बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ट्वीट करके उन्हें बचाने का आश्वासन दिया था.
मोसुल को ईराक़ी और गठबंधन सेनाओं द्वारा आईएसआईएस के क़ब्ज़े से छुडाये जाने के बाद मोसुल में मारे गए लोगों के शव खुदाई करके निकाले गए. उनकी पहचान के लिए उनका डीएनए टेस्ट किया गया. जिसके बाद 38 शवों का डीएनए भारतीय पाया गया.
Yesterday we got information that DNA samples of 38 people have matched and DNA of the 39th person has matched 70 per cent: EAM Sushma Swaraj in #RajyaSabha on 39 Indians kidnapped in Iraq's Mosul pic.twitter.com/almEfDANlz
— ANI (@ANI) March 20, 2018
सुषमा ने कहा कि 27 जुलाई को राज्यसभा में चर्चा के दौरान मैंने कहा था कि जब तक कोई भी सबूत नहीं मिल जाता, मैं उनकी हत्या या मौत की घोषणा नहीं करुंगी. जो 39 शव मिले हैं, उनमें से 38 के डीएनए मैच कर गए हैं और 39वें की जांच चल रही है.
सुषमा ने बताया कि शवों के अवशेष वापस लाने के लिए जनरल वीके सिंह इराक जाएंगे. शवों के अवशेष लाने वाला विमान पहले अमृतसर, फिर पटना और कोलकाता जाएगा.
सुषमा ने राज्यसभा में बताया कि डीप पेनिट्रेशन रडार के जरिए बॉडी को देखा गया था, उसके बाद सभी शवों को बाहर निकाला गया. जिन 39 भारतीयों को आईएसआईएस के आतंकियों ने जून 2014 में अपहृत किया था. उनमें 22 लोग पंजाब के अमृतसर, गुरदासपुर, होशियारपुर, कपूरथला और जालंधर से थे.