स्वास्थ्य से संबंधित कुछ गलतफहमियां, इनके बारे में जान लीजिए

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हम सभी को अपनी हेल्थ से जुड़ी समस्याओं का रोज़ाना सामना करना पड़ता है। ये समस्याएं हैं,सर में दर्द,लगातार ज़ुखाम होने के चलते नाक का बहना,कान में खुजली और भारीपन लगना, आलास आना और बेहोशी जैसा लगना। दरअसल,ये सभी समस्याएं हमारे कान या नाक से जुड़ी होती हैं और हम इन्हें छूट पुट सी प्रॉब्लम समझकर नज़रंदाज़ कर देते हैं लेकिन शुरुआत में छोटी लगने वाली ये समस्याएं कभी कभी ज़िंदगी का सबसे बड़ा नासूर बन जाती हैं।

समय पर जांच और इलाज से बड़ी और लाइलाज बीमारी होने से बचा जा सकता है। लेकिन,जांच और इलाज से पहले ही कुछ लोग इन चीज़ों को लेकर मिथ्या में फंस जाते है। नाक और कान से जुड़े ऐसे ही कुछ मिथ को आज हम इस लेख में शामिल कर रहे हैं। जानने के लिए लेख को पूरा पढ़ियेगा..

साइंस इनसाइड यूट्यूब चैनल पर नाक,कान विशेषज्ञ डॉ. वोइट और डॉ.जोंस ने इन इन बिंदुओं पर विस्तार
से बात की है

1.छींक को रोकना ठीक है?

किसी भी व्यक्ति को अगर छींक आती है तो उसे छींक ले लेनी चाहिए, उसे रोकने नहीं चाहिए। दरअसल,हमे छींक तभी आती है जब हमारे शरीर मे कोई अनावश्यक तत्व होता है,ये तत्व धूल मिट्टी के कण या किसी तरह के जीवाणु हो सकते हैं। जिन्हें हमारा इम्यून सिस्टम छींक या खांसी के द्वारा शरीर से बाहर निकालता है। अगर छींक को रोक जाता है तो अनावश्यक कण शरीर मे ही रह जाएंगे।

2.कानों को साफ करने के लिए क्यू-टिप्स का उपयोग करना चाहिए?

वैसे तो कानों को जितना साफ रखा जाए उतना ही अच्छा है लेकिन कुछ लोग कानो को साफ करने के लिए माचिस की तिल्ली,रुई वाली प्लास्टिक की तिल्ली कानो में डाल लेते है।कभी हालात ऐसे हो जाते हैं कि तिल्ली कानो में ही टूट जाती है इससे कान का दर्द और समस्या दोनों बढ़ जाती हैं। ऐसे में अगर ज़्यादा ज़रूरी है तो कानो की सफाई बाहर से करवा लेनी चाहिए। आज कल ENT संस्थानों में मशीनों द्वारा कान की सफाई की जाती है।

3.कीड़े मकोड़े कानो के अंदर नहीं जा सकते?

कानो के छेद बहुत छोटे होते हैं जिससे कॉकरोच और उसी के आकार के बाकी कीड़ो मकोड़ो का कान में जाना मुश्किल है।लेकिन वो कीड़े मकोड़े जो आकर में बेहद छोटे होते हैं वो कानो के अंदर जा कर कान के पर्दे को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

4.सोते वक्त मुहँ बंद रखने से खर्राटे बंद हो जाते हैं?

सोते समय हमारे शरीर को अच्छी और अधिक ऑक्सीजन की ज़रूरत होती है, वहीं नाक बंद होना और मुहँ से सांस लेने की आदत के चलते बहुत से लोग सोते वक्त मुहँ से सांस लेते हैं, ऐसे में खर्राटों का आना सामान्य से बात है। मुहँ बंद रखने से सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।

5.तेज़ म्यूजिक सुनने से कानो के सुनने की क्षमता कम हो जाती है?

सिर्फ तेज़ म्यूजिक से ही नहीं बल्कि किसी भी प्रकार की तेज आवाज कानो के लिए हानिकारक हो सकती है। तेज़ आवाज़ से कान के पर्द में मौजूद झिल्लियां टूट सकती हैं जिससे सुनने की क्षमता प्रभावित हो जाती है। तेज़ म्यूजिक,डीजे,वाहनों के हॉर्न की तेज़ आवाज़,चीखने चिल्लाने की तेज आवाज से बचे।

6.स्वीमिंग करने से कान में इंफेक्शन हो जाता है?

स्वीमिंग करने या ज़्यादा स्वीमिंग करने से कान में इंफेक्शन नहीं होता है। कान में इंफेक्शन पानी से अत्यधिक सफाई करने से हो सकता है। पानी का ज़्यादा उपयोग कान में करने से कानो में नमी रह जाती है जिससे फंगल इंफेक्शन हो जाता है। कई बार ये घातक भी होता है।

7.ईयरवैक्स करवानी चाहिए?

हमारे कानों में बहुत छोटे छोटे बाल होते हैं जो बाहरी धूल मिट्टी को कान में जाने से रोकते हैं,लेकिन ये धूल मिट्टी के कण उन्ही बालो में अटक कर रह जाते हैं और गंद का रूप ले लेते है जिसे साफ करने की ज़रूरत होती है। ऐसी स्थिति में नाक,कान और गले (ENT) के डॉक्टर के पास जाकर ईयरवैक्स करवा लेनी चाहिए।

8.गंध और सुगंध न आना सामान्य बात है?

आम तौर पर होने वाले ज़ुखाम में कुछ समय के लिए गंध और सुगंध आना बंद हो जाती है,लेकिन लंबे समय तक इस स्थिति का बने रहना चिंता का विषय हो सकता है क्योंकि हालफिलहाल में कोरोना मरीज़ों में भी ऐसी समस्या देखी गयी है। हालांकि नींबू, दालचीनी,लेवेंडर जैसी चीज़ों की रोज़ाना सुगंध लेने से सूंघने की क्षमता बेहतर होती है।

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