शशि कपूर. साठ के दशक में सबसे चहेता सितारा. अपनी प्रतिभा पर गहरा विश्वास रखने वाले. मेरे पास माँ है जैसे डायलॉग से घर-घर की आवाज बने. बॉलीवुड के रोमांटिक स्टार के तौर पर पहचाने वाले. अमिताभ के साथ सिनेमा को नया आयाम देने वाले शशि कपूर.
जन्म और शिक्षा
शशि कपूर का जन्म हिन्दी फ़िल्मों में लोकप्रिय कपूर परिवार में 18 मार्च 1938 को कलकत्ता में हुआ. मुंबई के डॉन बोस्को स्कूल से पढ़ाई पूरी की. पिता पृथ्वीराज कपूर इन्हें छुटिट्यो के दौरान स्टेज पर अभिनय करने के लिए प्रोत्साहित करते रहते थे. और बचपन में ही 40 के दशक में ही अपने भाई राज कपूर और पिता पृथ्वी राज कपूर के साथ फिल्मों और नाटकों में रोल करने लगे.
फिल्मी कैरियर
1961 में वह फ़िल्म ‘धर्म पुत्र’ से बतौर हीरो बड़े पर्दे पर आए थे. फ़िल्म ‘चोरी मेरा काम’, ‘फांसी’, ‘शंकर दादा’, ‘दीवार’, ‘त्रिशूल’, ‘मुकद्दर’, ‘पाखंडी’, ‘कभी-कभी’ और ‘जब जब फूल खिले’ जैसी करीब 116 फिल्मों में अभिनय किया था. जिसमें 61 फिल्मों में शशि कपूर बतौर हीरो पर्दे पर आए और करीब 55 मल्टीस्टारर फिल्मों के हिस्सा बने थे. ‘दीवार’ फिल्म में उनका डायलॉग ‘मेरे पास मां है’ आज भी लोगों की जुबान पर रहता है.
अमिताभ और शशि की जोड़ी
शशि ही वो अभिनेता थे जिसके आसरे एक दर्जन फ्लॉप फ़िल्मों का इतिहास अपने पीछे लेकर अाए एक अभिनेता ने ‘सदी के महानायक’ का तमगा हासिल किया. अमिताभ से उमर में बड़े होते हुए भी उन्होंने ‘दीवार’ जैसी फ़िल्म में उनके छोटे भाई का किरदार निभाया. शशि कपूर ने अमिताभ बच्चन के साथ करीब 12 फिल्मों में काम किया था. पहली फिल्म ‘रोटी कपड़ा और मकान’ (1974) में साथ नजर आए थे. अमिताभ और शशि ने दो और दो पांच, ‘शान’ (1980), ‘सिलसिला’ (1981) और ‘नमक हलाल’ (1982) जैसी फिल्मों में साथ काम किया.
शशि कपूर के पांच महशूर डायलॉग
- ये दुनिया थर्ड क्लास का डिब्बा बन गयी है, जगह बहुत ज्यादा है और मुसाफिर कम’.
- ‘कार से आने वाले अक्सर देर से आते है’.
- ये प्रेम रोग है, शुरू में दुख देता है और बाद में बहुत दुख देता है.
- मेरे पास मा है.
- ख़्वाब जिंदगी से कहीं ज्यादा और खूबसूरत होते है.