सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) के एक आदेश पर रोक लगा दी है। इस आदेश में यशराज फिल्म प्राइवेट लिमिटेड को एक बॉलीवुड फिल्म में गाने को हटाने से निराश फिल्म प्रशंसक को मुकदमे की लागत के साथ 10,000 का भुगतान करने का निर्देश दिया था।
पूरा मामला क्या है? आइए जानते हैं
दरअसल यह पूरा मामला 2016 में आई शाहरुख खान की फिल्म “फैन” से संबंधित है। शाहरुख खान को इस फिल्म से बहुत ज्यादा उम्मीद थी। लेकिन यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कुछ कमाल नहीं कर पाई। इस फिल्म को डायरेक्ट मनीष शर्मा ने किया था ।
उपरोक्त मामला-
आफरीन फातिमा जैदी जो कि पेशे से एक अध्यापिका है। शाहरुख खान की बहुत बड़ी फैन है। 2016 में आई फिल्म “फैन” को देखने के लिए वह अपने पूरे परिवार के साथ गई थी। सभी फिल्म को देखने के लिए बहुत एक्साइटेड थे। लेकिन पूरी फिल्म खत्म हो गई “ट्रेलर” में दिखाया हुआ गाना फिल्म में नहीं दिखाया गया।
जिसके बाद आफरीन ने कहा कि वह खुद को बहुत ही ठगा हुआ महसूस कर रही थी। जिसके बाद उनके बच्चों ने भी तीन-चार दिन तक खाना नहीं खाया और जिससे उनके बच्चों की भी तबीयत खराब हो गई थी। फिल्म से गाना हटाने को लेकर आफरीन ने फिल्म के मेकर्स के खिलाफ धोखेबाजी का आरोप लगाते हुए इसे लेकर मुआवजे की मांग भी की थी।
सबसे पहले मुकदमा उन्होंने जिला फोरम में दर्ज करवाया था । उन्होंने अपनी शिकायत याचिका में बताया कि फिल्म में “जबरा फैन” सॉन्ग नहीं था प्रोमों में दिखाए गए गाने को फिल्म में भी दिखाये जाने की मांग की। लेकिन कुछ समय बाद ही जिला फॉर्म ने उनके केस को रफा-दफा कर दिया।
जिला फॉर्म ने उनकी शिकायत को खारिज तो कर दिया। लेकिन आफरीन यहीं नहीं रुकी उन्होंने महाराष्ट्र के राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में शिकायत दर्ज की। राज्य सरकार ने उपभोक्ता की शिकायत को बरकरार रखते हुए। यशराज फिल्म को मुआवजे के रूप में 10000 रूपये और मुकदमें की लागत के रूप में ₹5000 का भुगतान करने को कहा था।
यशराज ने आदेश को दी थी चुनौती
वहीं दूसरी तरफ यशराज फिल्म ने इसका विरोध करते हुए इस आदेश को राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में चुनौती दी थी। 18 फरवरी 2020 को एनसीडीआरसी ने राज्य आयोग के आदेश को बरकरार रखते हुए उपभोक्ता को 10000 रूपये और मुकदमे की लागत के रूप में 5000 रूपये का भुगतान करने को कहा। जिस का विरोध करते हुए यशराज फिल्म्स ने एनसीडीआरसी के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर दी थी।
प्रोडक्शन हाउस का तर्क-
प्रोडक्शन हाउस ने फिल्मी गाने हटाने को लेकर तर्क दिया। कहानी हमारी है हम जानते कि हमें से जनता के सामने किस तरह से प्रस्तुत करना है। आखिरी कोई हमें कैसे बता सकता है कि हमें फिल्म को कैसे बनाना चाहिए और किस गाने को रखना चाहिए।
बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में फिल्म प्रमोशन के लिए इस तरह के सॉन्ग का इस्तेमाल करना बहुत ही आम बात है। यह गाना फिल्म में नहीं दिखा सकते हैं। अगर इस पर रोक लगाई जाती है तो आने वाली फिल्मों के लिए उचित नहीं हो पाएगा।
न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति वी राम सुब्रमण्यम की पीटने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड और शिकायतकर्ता पेशे से शिक्षिका को नोटिस जारी किया है। और फिल्मेकर्स को भी लताड़ा की प्रमोशन के लिए गाने का उपयोग मार्केटिंग के लिए किया गया था। जब है वास्तव में फिल्म का हिस्सा नहीं है तो इससे दर्शकों को धोखा होता है और अनुचित व्यापार व्यवहार के तहत उपभोक्ता संरक्षण की धारा 2 (1) (आर) के तहत होता है।
अपनी अपील में वाईआरएफ ने तर्क दिया की एनसीडीआरसी द्वारा पारित अनुच्छेद 19 (1) (जी) के तहत उसके मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है, क्योंकि उक्त आदेश उस पर अनुचित शर्त लगाता है कि उसे अपने पेशेवर मामलों का प्रबंधन कैसे करना चाहिए।
एनसीडीआरसी में दायर अपील में ,वाईआरएफ ने तर्क दिया था की महिला को उपभोक्ता नहीं माना जा सकता क्योंकि उसने फिल्म टिकट के लिए जो कीमत चुकाई थी, वह उसके और सिनेमा हॉल के बीच की डील थी। इस पर एनसीडीआरसी ने कहा कि फिल्म से होने वाली कमाई का प्रोडयूसर, प्रदर्शक और वितरक के बीच शेयर होता है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने एमडीसीआरसी के आदेश पर भी रोक लगा दी है और आफरीन को नोटिस जारी कर दिया है।
“जबरा फैन” गीत केवल फिल्म के प्रचार के लिए था और वह फिल्म का हिस्सा नहीं था। इस तथ्य को याचिकाकर्ता फिल्म की स्टार कास्ट और साथ ही साथ अच्छी तरह से प्रचारित किया गया था। निदेशक ने कई मौकों पर और याचिकाकर्ता ने विभिन्न प्रचार सामग्री साक्षात्कार को इसके साथ साक्ष्य के रूप में रिकॉर्ड पर रखा है।