पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ के इतर सेक्शुअल लाइफ किसी भी इंसान के लिए एक सॉफ्ट टॉपिक हो सकता है। क्योंकि अधिकतर लोग इसे अंदर की या चार दिवारी के भीतर की बात मानते हैं। हालांकि, सेक्स के दौरान चरमसुख पाना हर किसी की इच्छा होती है। लेकिन सेक्स पर खुल कर बात न करने के कारण, इस पर फैली मिथ्या और ऊलजुलूल बातों को लोग सच मान बैठते हैं। ऐसा ही G SPOT के साथ है।
G- SPOT, गूगल पर सबसे ज़्यादा सर्च किये जाने वाले शब्दों में से एक है। और यही वो चीज़ है जिसपर सबसे ज़्यादा मिथ्या फैली हुई है। लोगो का मानना है कि G – SPOT वो स्पॉट है जिस पर फीमेल को ऑर्गेज्म होता है। यानी वो स्पॉट जो सेक्स के मज़े को बढ़ाता है। लेकिन क्या ये सच है ? और क्या सच में G- SPOT होता है? अगर होता है, तो इस तक कैसे पहुंचा जा सकता है? और क्या G spot से ही महिलाओ को ऑर्गेज्म होता है ?
जानिए…
क्या होता है G SPOT :
G स्पॉट पर विशेषज्ञों के मतभेद है, कुछ का मानना है कि G SPOT महिलाओ की योनि में एक मटर के दाने जितना बड़ा भाग होता है, जिसे पेनिट्रेट के दौरान सहलाने पर महिलाओ को ऑर्गेज्म (चरमसुख) होता है। माना यह भी जाता है कि, क्लिटोरियस के मुकाबले G SPOT सेक्स के मज़े को और महिलाओ में उत्तेजना को बढ़ाता है। वहीं कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि G SPOT नाम की कोई चीज़ ही नहीं होती।
कहाँ होता है G SPOT :
सुना है कि, महिलाओ की योनि की ऊपरी दीवार पर लगभग डेढ़ या 2 इंच अंदर G स्पॉट होता है, यह यूट्रेस के शुरू होने और योनि ( वैजाइना) के खत्म होने का पॉइन्ट होता है। G स्पॉट एक मटर के दाने जितना होता है, जो पेनिट्रेट के वक्त अपने आकर से बड़ा हो जाता है और उत्तेजना को बढ़ाता है।
NBT की रिपोर्ट के मुताबिक, G स्पॉट को अक्सर आइडेंटिफाइड करना मुश्किल हो जाता है। यह इनर लोबिया (मादा जननांगों की मुड़ी हुई त्वचा) में एक मटर के दाने के रूप में देखा जाता है, जो क्लिटोरियस का ही एक भाग है। उत्तेजना बढ़ने पर G स्पॉट एक गांठ की तरह फूल जाता है और कठोर भी हो जाता है। इससे उत्तेजना में इज़ाफ़ा होता है।
कैसे पड़ा “G स्पॉट” नाम :
दरअसल, 80 के दशक में जर्मनी में एक गायनेकोलॉजिस्ट हुआ करते थे, जिनका नाम था “अन्स ग्राफीनबर्ग” (ens grafen berg)। इन्होंने महिलाओ की वैजाइना में एक ज़ोन की खोज की और उसका नाम grafenberg Zone रख दिया। लोगो ने इसे छोटा करके G ज़ोन बना दिया।
इसी जोन में ग्राफीनबर्ग ने एक ऐसे स्पॉट की बात की थी जिसे स्टिमुलेट किया जाए तो महिलाओ को ऑर्गेज्म हो सकता है। इसका नाम भी उन्होंने अपने नाम पर ग्राफीनबर्ग स्पॉट यानी G SPOT रखा।
G SPOT नाम की कोई चीज़ नहीं होती ?
DW हिंदी के मुताबिक, ग्राफीनबर्ग ने G स्पॉट की थियोरी दे तो दी लेकिन वो कभी भी अपनी इस थियोरी को ठीक से साबित नहीं कर पाए, जिसके चलते गायनेकोलॉजिस्ट के लिए ये एक बड़ी पहेली बन गया। आखिरकार इस थियोरी को ही रद्द कर दिया गया। DW हिंदी पर ही गायनेकोलॉजिस्ट लाइया वॉल्स पेरेज़ बताती है कि, G स्पॉट जैसी कोई चीज़ नहीं होती।
G स्पॉट है या नहीं इस बात को लेकर दशकों से बहस छिड़ी है। लेकिन अभी तक इसके होने या न होने का कोई ठोस प्रमाण नहीं है। COSMOPOLITAN मैगज़ीन ने जुलाई 2020 में अपने पाठकों से एक आर्टिकल लिखकर माफ़ी मांगी। जिसमे उन्होंने माफ़ी मांगते हुए इस बात को साफ किया कि, G स्पॉट जैसी कोई चीज़ नहीं होती। G SPOT DOESN’T EXIST. बता दें कि अपने पहले के आर्टिकल्स में इस मैगज़ीन ने G स्पॉट के होने की बात कही थी।
क्लिटोरियस से होता है ऑर्गेज्म ?
गायनेकोलॉजिस्ट वाल्स पेरेज़ के मुताबिक, क्लिटोरियस के ही कारण सेक्स में मज़ा आता है। वहीं NBT के मुताबिक, सेक्सोलॉजिस्टों का कहना है कि G spot सिर्फ पुरुषों के दिमाग की उपज है। एकमात्र क्लिटोरियस ही है जिसके माध्यम से सेक्स के दौरान महिलाओं को उत्तेजित किया जा सकता है।
दरअसल, क्लिटोरियस में आठ हजार तंत्रिकाएं होती है जो शरीर के किसी दूसरे हिस्से के मुकाबले, क्लिटोरियस को ज़्यादा नाजुक और सॉफ्ट बनाती है। इसे छूने या सहलाने मात्र से महिलाओ को चरमसुख तक पहुंचाया जा सकता है। इसके अलावा वैजाइना की दोनों दीवारें भी काफी नाजुक और सॉफ्ट होती है जो सेक्स में उत्तेजित करने का काम करती हैं।