उत्तरप्रदेश में एक पुलिस अधिकारी ने अपनी सेवा से त्यागपत्र दे दिया है. साथ ही राष्ट्रपति के नाम एक ख़त लिखा है. ज्ञात होकि दलित एवं आदिवासी समुदाय में सुप्रीम कोर्ट द्वारा किये गए SC/ST एक्ट में बदलाव के विरोध में उन्होंने यह त्यागपत्र दिया है.
पुलिस प्रशिक्षण निदेशालय में बतौर अपर पुलिस अधीक्षक पद पर तैनात डॉ बी पी अशोक ने राष्ट्रपति को भेजे अपने पत्र में दलितों के वर्तमान हालात पर चिंता जाहिर की है.
पत्र में पुलिस अधिकारी ने लिखा कि देश में वर्तमान में ऐसी परिस्थितियां पैदा हो गई हैं, जिसके कारण उन्हें हृदय से भारी आघात पहुंचा है. कुछ बिंदुओं को संज्ञान में लाकर अपने जीवन का बहुत कठोर निर्णय ले रहा हूं.
उन्होंने कहा अनुसूचित जाति व जनजाति एक्ट को कमजोर किया जा रहा है. राष्ट्रपति से संसदीय लोकतंत्र को बचाने की अपील करते हुए उन्होंने लिखा कि रुल ऑफ़ जज, रुल आॅफ पुलिस के स्थान पर रुल ऑफ लॉ को सम्मान प्रदान किया जाए. महिलाओं को अभीतक पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया.
महिलाओं, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़े वर्ग और अल्पसंख्यक वर्ग को अभीतक न्यायालयों में प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया. प्रोन्नतियों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है. श्रेणी 4 से श्रेणी 1 तक साक्षात्कार युवाओं में आक्रोश पैदा कर रहे हैं. सभी साक्षात्कार खत्म किए जाए, जाति के खिलाफ स्पष्ट कानून बनाया जाए.
अंत में उन्होंने कहा कि इन संवैधानिक मांगों को माना जाए या मेरा त्यागपत्र स्वीकार किया जाए. पूरे देश के आक्रोशित युवाओं से शांति बनाए रखने की अपील करते हुए डॉ अशोक ने कहा कि इस परिस्थिति में मुझे बार-बार यही विचार आ रहा है कि अब नहीं तो कब, हम नहीं तो कौन.