एक अच्छी खबर यह है कि, सरकार शाहीनबाग के सीएए और एनआरसी के विरोध में चल रहे सत्याग्रह के प्रदर्शनकारियों से बात करने के लिये राजी हो गयी है। विधिमंत्री रविशंकर प्रसाद ने एक ट्वीट के द्वारा अपनी बात कही है । सरकार का यह एक अच्छा कदम है। सरकार और प्रदर्शनकारियों के प्रतिनिधियों को बैठ कर बातचीत का आधार और विंदु तय करना चाहिए। इस बातचीत में देश भर में चल रहे ऐसे ही प्रदर्शनकारियों और सीएए एनआरसी विरोधी संगठनों को भी शामिल करना चाहिए। असम, जहां की यह मूल समस्या है उन्हें तो ज़रूर ही इस बातचीत में सम्मिलित करना चाहिए।
लेकिन शाहीनबाग के सत्याग्रह को तोड़ने और हिंसा फैलाने की भी कोशिश कुछ असामाजिक तत्वो द्वारा की गई है। यह क्या कम उपलब्धि है कि इस गिरोह ने, जय श्रीराम को आतंक फैलाने का एक नया नारा बना दिया ! ये धर्मद्रोही, रामद्रोही और जनद्रोही हैं। देशद्रोही तो अपने स्थापनाकाल से ही हैं। अपने बच्चों को बचाइए वरना ये संगठित गुंडों का गिरोह बना कर ही मांनेंगे ।
आर्थिक स्थिति और भयावह होने जा रही है। सरकार अब भय मुक्त नहीं जनता को भयभीत करने के मोड में है। आने वाले समय की झांकी जामिया में 30 जनवरी को और आज 1 फरवरी को शाहीनबाग में मिल गयी है। शाहीनबाग के बारे में ईश मिश्र जो वहां कई बार जा चुके हैं का यह अनुभव पढिये,
” शाहीन बाग को अमित शाह और पूरी भक्त मंडली हिंदू-मुसलमान नरेटिव में फिट करने की पूरी कोशिश कर रही है लेकिन अभी तक नाकाम है, वहां गैर-मुस्लिम बहुसंख्या में हैं। एक लंगर पंजाब के सिख किसानों ने लगाया है, दूसरा हरियाणा की छत्तीस बिरादरी ने। हर रोज दूर दूर के हजारों लोग वहां पहुंच रहे हैं। मैं भी मित्रों के साथ 5-6 बार जा चुका हूँ । वहां लाइब्रेरी है, कला-कॉर्नर है, किताबों की दुकान खुल गयी है। महिलाएं गाती भी हैं पढ़ती भी हैं। यह नारी चेतना का नवजागरण हैं जो देश भर में फैल रहा है, इलाहाबाद-लखनऊ-मुंबई-पुणे हर जगह। हिंदू-मुसलमान, औरत-मर्द से ऊपर उठकर इंसान के रूप में सोचिए तो समझ आएगा, शाहीन बाग। हम कल अपने संगठन (जनहस्तक्षेप) के साथ समूह में जाएंगे पोस्टर लगाएंगे, पर्चे बांटेंगे। रात में पर्चा लिखना है। सांप्रदायिक पूर्वाग्रह हमें विवेकशील इंसान नहीं बनने देते। सवर्ण दुर्भाग्य से इस रोग के सबसे अधिक शिकार हैं। ”
साम्प्रदायिक सौहार्द बने रहने और हर कोशिश के बाद भी देश मे कहीं भी दंगे न भड़कने के कारण गिरोह कुंठित हो रहा है। जामिया फायरिंग और शाहीनबाग की गोपाल और कपिल की घटनाएं आगे और भी होंगी। कुछ मंत्रियों और सांसदों के भड़काऊ बयान अचानक मुंह से निकले उनके उद्गार नहीं हैं। वह जानबूझकर एक तयशुदा साज़िश के हिस्से हैं ।
यह भी पहली बार ही हो रहा है कि इस महान सनातन धर्म को लफंगों और बमबाजों के भरोसे बचाने की कोशिश की जा रही है। धर्म को बचाये रखने और उसे परिष्कृत करने का जो प्रयास, आदि शंकराचार्य से लेकर अरविंदो तक महान मनीषियों ने समय समय पर किया है वह अब नेपथ्य में चला जा रहा है। अब धर्म बचाने का जिम्मा, आसाराम, नित्यानंद, चिन्मयानंद, सद्गुरु जैसे धर्मच्युत धर्माचार्यो ने अपने ऊपर ओढ़ लिया है। यहां तक तो अभी कुछ गनीमत थी। पर धर्म बचाने के लिये कल जो रामभक्त गोपाल ने अपना रूप दिखाया, वह तो अलग ही प्रकार का था। धर्म क्या अब इन्ही लफंगों, गुंडों, और अश्लील बाबाओं के द्वारा बचाया जाएगा ?
इस्लाम की जो किरकिरी और बदनामी, तालिबान, अल कायदा औऱ आईएस आतंकवादियों के मुँह से अल्लाह का नाम लेकर आतंक फैलाने के कारणों से हुई है, वहीं किरकिरी और बदनामी, भारत माता का नाम इन भगवा छिछोरे गुंडों के मुँह से निकलने के कारण पूरी दुनिया मे देश और धर्म की हो रही है। इन लफंगों ने देश को कुंठित गुंडों का देश बना कर रख दिया है। क्या हमने अपने महान धर्म इनके पास गिरवी रख दिया है ? आप मे से कौन हिंदू अपने बेटे बेटी को रामभक्त गोपाल जैसा गुंडा बनाना चाहेगा ? शायद कोई भी नही। फिर इन धार्मिक गुंडों का महिमामंडन क्यों ?
और ये गुंडे भी धर्म को अपनी बपौती समझ रहे हैं। रामभक्त, बजरंगबली आदि नाम और संगठन लफंगों और उठाईगीरों की जमात बनते जा रहे हैं। यदि सनातन धर्म की परवाह है तो इस धर्म को इन गुंडों और अश्लील बाबाओं के चुंगल से मुक्त करना होगा। यदि इन लफंगों से हम मुक्त न हुये तो वह दिन दूर नहीं जब दुनिया हिन्दू और हिंदुत्व से खतरा महसूस करने लगेगी और हमें उसी संशय से देखने लगेगी, जैसा आज इस्लाम को कुछ इलाकों में देखा जा रहा है।
आज परिपक्व साम्प्रदायिक एका बनाये रखने की ज़रूरत है । न भड़किये न भड़काइये। बस एक बने रहिये।
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