0

सरदार जी ने अपनी पगड़ी मुसलमान को पहनाकर बचाई उसकी जान

Share

भजन पुरा की एक गली में जियाउद्दीन भाग रहे थे। दंगाइयों की पागल हो चुकी टोली उन्हें खदेड़े हुए थी। वे भागते भागते गिर पड़ते हैं और दंगाइयों के हाथ आ जाते हैं। दंगाई उन्हें पीटने लगते हैं। यह मंजर जिस गली में था, उसी गली में जिन्दर सिंह सिद्धू का घर है। यह सिद्धू जी के घर के सामने हो रहा था। सिद्धू घर से निकलते हैं और दंगाइयों को खदेड़ कर जियाउद्दीन को बचा कर घर में ले जाते हैं।
सुनील, विकास और जैन साब ने सिद्धू का साथ दिया। उन्होंने कई लोगों को बचाया है लेकिन वे नहीं चाहते कि इसका प्रचार हो। रवीश बता रहे हैं कि बहुत कहने पर उन लोगों ने बात तो की लेकिन फ़ोटो दिखाने की इजाजत नहीं दी। इस घटना के बारे में मोहम्मद अदनान ने रवीश को बताया और उन्होंने ही नम्बर दिया।
आम जनता मम्मी का पैर छूती है तो फ़ोटो नहीं खिंचवाती। वह फर्ज मानकर उसे निभाये चली जाती है। सिद्धू जी ने जिया को 3 घण्टे अपने घर मे रखा, पानी पिलाया, भरोसा दिया फिर अपनी पगड़ी उतार कर जिया को पहना दी। जिया को मूंछें नहीं थीं सो सरदार जैसे नहीं लग रहे थे तो चेहरे पर भी पगड़ी लपेट दी और उनको हेलमेट पहनाया। फिर सुनील और सोनू ने जियाउद्दीन को बाइक के बीच बिठाया और रात के अंधेरे में उनके घर छोड़ आए।
रवीश कह रहे हैं कि जो सरदार अपनी पगड़ी के लिए जान दे देता है, वही सरदार अपनी पगड़ी उतार कर किसी की जान बचा लेता है।
एक चचा बहराइच से दिल्ली आए थे. दो छोटे बच्चों के साथ वे घर से निकले तो बाहर बवाल हो रहा था. वे रास्ता भटक गए. दंगा देखकर काफी घबरा गए क्योंकि साथ में दो बच्चे थे. उन्हें डर था कि हिंदू भीड़ उन्हें मिल गई तो जाने क्या अनहोनी हो! भटकते हुए उन्हें कुछ हिंदू लड़के मिल भी गए. पूछा, कहां जाना है. चचा बोले, बहराइच जाना है, रास्ता भटक गया हूं. लड़कों ने कहा, चलो छोड़कर आते हैं.
चचा ने बताया है, ‘यहीं भजनपुरा में भटक गया था, कई लोगों ने मिलकर मेरी मदद की है, मेरे साथ बच्चे भी थे, मुझे कोई परेशानी नहीं हुई. इन्होंने मुझे इज्जत भी दी और साथ भी दिया.’
कुछ जहरीले प्राणी अशोक नगर की एक मस्जिद जलाने पहुंचे थे. मस्जिद से सटे मुसलमानों के करीब 10 घर भी थे. दंगाई आए थे, लेकिन उन्हें अंदाजा नहीं था कि उनके साथ क्या होने वाला है. इन जानवरों को हिंदुओं ने ही दौड़ा लिया. हालत नाजुक देख हिंदुओं ने मुसलमानों को अपने घर बुला लिया. न मस्जिद जली, न घर जला, न लोग जले. नफरत के ध्वजवाहक दो चार चेहरों से नजर हटाइए, मैं आपको हिंदुस्तान दिखाऊंगा।

Exit mobile version