नज़रिया – राम के नाम पर इतनी ओछी राजनीति नहीं कीजिए

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अगर राम आपके आदर्श हैं तो उनके नाम का इस्तेमाल आप किसी को चिढ़ाने, उकसाने के लिए कैसे कर लेते हैं? अगर आप उनमें श्रद्धा रखते हैं तो उनका नाम इतने हल्के में इस्तेमाल कैसे कर पा रहे हैं?
‘जय श्री राम’ के नारे से किसी को आपत्ति नहीं बशर्ते आप अपनी श्रद्धा से यह नारा लगा रहे हों. लेकिन अगर यही नारा आप मसखरी में चीख़ रहे हैं तो ख़ुद से सवाल कीजिए क्या ऐसा करके आप ख़ुद ही राम का नाम बदनाम नहीं कर रहे?
सोचिए अगर प्रधानमंत्री कहीं से गुज़र रहे हों और कुछ लम्पट लड़के भीड़ में छिपकर ‘अल्लाह हो अकबर’ चीख़ने लगें तो यह नज़ारा कैसा होगा? कैसा होगा अगर प्रधानमंत्री की मेल आईडी पर प्रतिदिन सैकड़ों मेल आने लगें जिनमें सिर्फ़ ‘अल्लाह हो अकबर’ लिखा हो?
क्या इस स्थिति को भी आप उतना ही सामान्य मानेंगे जितना ममता बनर्जी की रैली में ‘जय श्री राम’ चीखे जाने और उन्हें ऐसे मेल भेजे जाने को मान रहे हैं?? नहीं, तब आपको लगेगा कि इस्लामिक चरमपंथ बढ़ रहा है, सांप्रदायिक कट्टरता दृढ़ हो रही है और हिंदू ख़तरे में है.
जबकि अभी आप ठीक यही कर रहे हैं. जिस तेवर से आप जय श्री राम का नारा उछाल रहे हैं वह सांप्रदायिक नफ़रत को बढ़ावा देने वाले तेवर हैं, धार्मिक कट्टरता को मज़बूत करने वाले तेवर हैं.
राम के नाम का राजनीतिक इस्तेमाल पहले ही देश में कई बार हो चुका है. कई चुनाव पूरी तरह से ‘राम लहर’ में लड़े और जीते जा चुके हैं. कई दंगों और हिंसक घटनाओं को राम के नाम पर अंजाम दिया जा चुका है. राम के नाम पर हत्याओं के कई दाग़ हम पहले ही लगा चुके हैं, अब इस नाम की और फ़ज़ीहत तो मत कीजिए.
अगर राम सच में आपके आदर्श हैं तो उनके नाम की ऐसी बेक़द्री, ऐसा फूहड़ इस्तेमाल होने से रोकिए. राम को तो मर्यादा पुरषोत्तम कहा गया है. आप हैं कि उनके ही नाम पर सारी मर्यादाएँ तोड़ देने पर आमादा हैं.

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