दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच चल रही उठापटक अब संसद पहुँच गयी है. इस पर गुरुवार को विपक्ष ने चर्चा करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का समर्थन किया.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार समाजवादी पार्टी के नरेश अग्रवाल ने कहा, ‘दिल्ली सरकार के पास कोई शक्ति नहीं है. एलजी दिल्ली के मुख्यमंत्री के साथ चपरासी की तरह व्यवहार करते हैं. यह किसी भी मुख्यमंत्री का अपमान है.’
नोएडा से कालिंदी कुंज मार्ग पर दिल्ली मेट्रो रेल सेवा के उद्घाटन समारोह में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आमंत्रित नहीं करने और दिल्ली सरकार को अधिकार देने का मुद्दा राज्यसभा में आज विपक्षी दलों ने उठाया. उच्च सदन में दिल्ली विशेष उपबंध संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान सपा के नेता रामगोपाल यादव ने दिल्ली मेट्रो की एक महत्वपूर्ण सेवा के उद्घाटन में दिल्ली के मुख्यमंत्री को नही बुलाने को गलत परंपरा की शुरुआत बताया.
विपक्षी दलों दिल्ली के मुख्यमंत्री को आमंत्रित न करने और दिल्ली सरकार को अधिकार देने का मुद्दा भी उठाया गया.
इससे पहले तृणमूल कांग्रेस के नदीमुल हक ने यह मुद्दा उठाते हुये इसे ओछी राजनीति का नतीजा बताया.
विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने स्पष्ट किया कि मजेंटा लाइन पर उत्तर प्रदेश में मेट्रो के रेलखंड के उद्घाटन का कार्यक्रम आयोजित किया गया था.
उन्होंने सदस्यों से अनुरोध किया कि वे मेट्रो के चौथे चरण के लंबित पड़े प्रस्ताव को दिल्ली सरकार द्वारा जल्द भेजने को कहें जिससे उस पर काम शुरू हो सकें.
पुरी द्वारा चर्चा का जवाब देते समय उप सभापति पीजे कुरियन ने उनसे कहा कि सरकार को उपराज्यपाल बनाम मुख्यमंत्री के विवाद पर जल्द कानूनी स्थिति स्पष्ट करना चाहिये.
पुरी ने उन्हें आश्वासन दिया कि वह सभी पक्षों की भागीदारी सुनिश्चित कर इस विवाद का स्थायी समाधान निकालेंगे.
मालूम हो कि केजरीवाल सरकार और केंद्र के बीच अधिकारों की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में भी चल रही है.