रघुराम राजन ने शुक्रवार को कहा था कि नोटबंदी तथा वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की वजह से पिछले साल भारत की आर्थिक विकास दर में गिरावट आई उन्होंने जोर देते हुए कहा कि मौजूदा सात फीसदी की विकास दर देश की जरूरतों के लिए पर्याप्त नहीं है.
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की 100वीं वर्षगांठ के मौके पर वीडियो लिंक के जरिये वित्त मंत्री ने कहा कि दो तिमाही तक विकास दर में गिरावट के बाद यह बढ़कर सात फीसदी पहुंच गई और उसके बाद 7.7 फीसदी. अंतिम तिमाही में यह 8.2 फीसदी रही.
जेटली ने कहा, ‘आजादी के बाद सबसे बड़ा कर सुधार जीएसटी का आर्थिक विकास दर पर केवल दो तिमाहियों के लिए ‘बुरा’ असर हुआ.’ उन्होंने कहा कि बैंकिंग प्रणाली को मजबूती देने और भारत की विकास दर को सहारा देने के लिए हमें अपने एनपीए को कम करने की जरूरत है. इसके लिए विभिन्न तरह के विकल्प अपनाए जा रहे हैं.
बर्कले में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफॉर्निया में शुक्रवार को लोगों को संबोधित करते हुए राजन ने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी लागू होने से पहले चार साल (2012 से 2016) तक भारत की विकास दर की रफ्तार काफी तेज रही। फ्यूचर ऑफ इंडिया पर दूसरा भट्टाचार्य व्याख्यान देते हुए उन्होंने कहा, ‘नोटबंदी तथा जीएसटी जैसे लगातार दो झटकों का भारत की विकास दर पर गंभीर असर पड़ा। विकास दर ऐसे वक्त में गिर गई, जब वैश्विक अर्थव्यवस्था उछाल मार रही थी.’
राजन ने कहा, ‘2017 में ऐसा हुआ कि जब पूरी दुनिया आगे बढ़ रही थी, तब भारत पिछड़ रहा था. यह इस बात की पुष्टि करता है कि इन दोनों (नोटबंदी और जीएसटी) का असर अर्थव्यवस्था पर हुआ’