प्रियंका चोपड़ा का बांग्लादेश के रोहिंग्या कैम्प पर पहुंचना कुछ दक्षिणपंथियों को रास नहीं आया. और कहने लगे कि इन्हें भारत से निकाल देना चाहिए. इसी सिलसिले में लोगों ने ये तक कहा कि इन्हें देश की फ़िक्र नहीं रोहिंग्याओं की बड़ी फ़िक्र है.
उन छोटी और दिवालिया मानसिकता वाले भक्तों को कोई बताओ, कि प्रियंका चोपड़ा यूनिसेफ की एम्बेसडर हैं. एक शांतिदूत के तौर पर वो रिफ्यूजी कैम्पस का दौरा करती हैं. इससे पहले जब प्रियंका लेबनान में सीरियाई लोगों से मिलने पहुंची थीं तब भी इसी ओछी मानसिकता का परिचय दिया गया था.
अब रही बात देश के बच्चों की फ़िक्र की, तो ज्ञात होना चाहिए कि प्रियंका एक आर्मी ऑफिसर की बेटी हैं. उनके पिता आर्मी में थे, उन्होंने देश के लिए अपनी सेवाएँ दी हैं. अब जो लोग प्रियंका को कटाक्ष करते हुए कह रहे हैं, की कुछ रोहिंग्याओं को अपने घर में रख लो और वही लोग कश्मीरी पंडितों वाला सवाल भी प्रियंका को दाग रहे हैं.
अब उन्ही लोगों से सवाल तो ये बनता है, जनाब कि आपने कितने कश्मीरी पंडितों को अपने घर में जगह दी. कि बस कश्मीरी पंडितों का नाम अपनी राजनीति चमकाने के लिए करते हो. या फिर तुम्हारी आँखों का धार्मिक चश्मा जो तुम्हे लोगों को हिन्दू मुस्लिम में बांटकर देखने पर मजबूर करता है, तुमने उस चश्में का उपयोग किसी समुदाय या धर्म से जुड़े लोगों या उनके दर्द में शरीक होने वालों को निशाना बनाने के लिए ख़ास कर दिया है.
दरअसल तुम कुंठित हो चुके हो. तुम्हारी मानसिकता का स्तर मानवता के निशान से नीचे जा चुका है. अब तुम्हारे सोचने और समझने की शक्ति क्षीण हो चुकी है. तुम मानसिक गुलामी के शिकार हो चुके हो. ऐसी मानसिक गुलामी जो तुम्हे एक ऐसी विचारधारा की भक्ति में लीन कर देती है, जो अंधत्व की पराकाष्ठा को छू जाती है. इसलिए एक बड़ी तादाद तुम्हे भक्त या अंधभक्त कहती है.
तो दोस्तों फिर मिलेंगे किसी अन्य लेख के साथ, तब तक जोर से बोलिए – जय हिन्द, जय भारत की एकता