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आप तो 2020 में फिर से एक बार लाइन में लगने की तैयारी कर लीजिए

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मोदी जी के पिछले कार्यकाल में बड़े स्तर पर लोगो को तीन बार लाइनों में लगना पड़ा। पहली बार सबके आधार कार्ड बनवाए गए, दूसरी बार गरीब – गुरबा को जनधन खाते खुलवाने के लिए लाइन में लगाया गया। तीसरी बार तो पूरा देश ही नोटबन्दी की लाइन में जाकर खड़ा हो गया।
अब मोदी जी के दूसरे कार्यकाल में पूरे देश को फिर से लाइन में लगना है, क्योंकि सरकार नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर NPR की लागू करने की बात कर रही है। अभी सरकार का मन नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (NRC) पर देशभर में मचे घमासान से भरा नहीं है।
NPR का उद्देश्य देश के सामान्य निवासियों का व्यापक पहचान डेटाबेस बनाना बताया जा रहा है। इस डेटा में जनसांख्यिंकी के साथ बायोमेट्रिक जानकारी भी होगी। यानी सम्भव है कि एक बार फिर से देश भर में आपको लाइन में लगकर अपने हाथों की उंगलियों ओर पुतलियों की छाप देना हो। आप पूछ सकते है कि फिर आधार कार्ड क्यो बनवाए गए थे ? लेकिन अभी तक इस बात का कोई जवाब नही दिया गया है।
ऐसा माना जा रहा है, NPR के जरिए ही NRC लागू की जाएगी। इसलिए बंगाल और केरल में इसका कड़ा विरोध किया जा रहा है।
NPR के प्रावधानों के तहत कोई भी निवासी जो 6 महीने या उससे अधिक समय से स्थानीय क्षेत्र में निवास कर रहा है। तो उसे NPR में अनिवार्य रूप से पंजीकरण कराना होगा। यानी भारत के प्रत्येक सामान्य निवासी को स्वयं को NPR में पंजीकृत करवाना अनिवार्य है।……बोलिए नमो नमो…..
कहा जा रहा है, कि NPR के लिए गणना अप्रैल 2020 में शुरू होगी और सितंबर 2020 में समाप्त होगी निवासियों की एक सूची तैयार होने के बाद उस सूची से नागरिकों के सत्यापन के लिये एक राष्ट्रव्यापी NRC को शुरू किया जा सकता है। इस राष्ट्रव्यापी NRC को नेशनल रजिस्ट्रेशन आइडेंटिटी कार्ड (National Registration Identity Card- NRIC) योजना कहा जा रहा है।
सबसे खास बात यह है कि NPR में आपका नाम शामिल होना आपकी नागरिकता का सुबूत नही है। क्योंकि इसमें विदेशी नागरिक भी अपना नाम दर्ज करवा सकता है, यानी कोई बांग्लादेशी – पाकिस्तानी घुसपैठिया भी अपना नाम दर्ज करवा सकता है। यदि वह 6 महीने से भारत में रह रहा हो। आप पूछेंगे कि फिर NPR बनाने का क्या मतलब है?….. तो यह बात मोदी जी ही जाने। आप तो 2020 में फिर से एक बार लाइन में लगने की तैयारी कर लीजिए।