इस साल के पद्म पुरस्कार 20 मार्च और दो अप्रैल को प्रदान किए जाएंगे.गौरतलब है कि इस साल के पद्म पुरस्कार में आठ राज्य सरकारों, सात राज्यपालों और 14 केंद्रीय मंत्रियों की सिफारिशों को दरकिनार कर दिया गया था.गृह मंत्रालय के दस्तावेजों के मुताबिक साल 2018 के पद्म पुरस्कारों के लिए कुल 35,595 लोगों के नाम की सिफारिश की गई थी. ये सिफारिशें राज्य सरकारों, राज्यपालों, मुख्यमंत्रियों, केंद्रीय मंत्रियों, केंद्रीय राज्य मंत्रियों, पद्म पुरस्कार से सम्मानित हस्तियों, अन्य व्यक्तियों तथा संगठनों की ओर से की गई थीं.
जिन नामों की सिफारिश की गई उनमें से केवल 84 प्रमुख व्यक्तियों को इस प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान के लिए चुना गया.गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक अंतिम सूची में स्थान हासिल करने वाले अधिकतर व्यक्तियों का चयन दस सदस्यीय चयन समिति द्वारा किया गया.चयन समिति ने तमिलनाडु, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, उत्तराखंड, बिहार, राजस्थान और दिल्ली की संस्तुतियों को अस्वीकार कर दिया.तमिलनाडु ने छह नामों की सिफारिश की थी, जबकि हरियाणा ने पांच, जम्मू-कश्मीर ने नौ, कर्नाटक ने 44, उत्तराखंड ने 15, बिहार ने चार, राजस्थान ने चार और दिल्ली ने सात नामों की सिफारिश की थी.
इन मंत्रियों के सुझावों का नही किया गया चयन
छह केंद्रीय मंत्रियों अरुण जेटली, मेनका गांधी, प्रकाश जावड़ेकर, राम विलास पासवान, सुरेश प्रभु, थावर चंद गहलोत की संस्तुतियों को भी पद्म पुरस्कारों की सूची में शामिल नहीं किया गया. इसी प्रकार चयन समिति ने आठ केंद्रीय राज्य मंत्रियों अर्जुन राम मेघवाल, अश्विनी कुमार चौबे, सीआर चौधरी, गिरिराज सिंह, महेश शर्मा, मुख्तार अब्बास नकवी और राम कृपाल यादव की ओर से सुझाए किसी नाम को चयनित नहीं किया.
केंद्रीय मंत्रियों में केवल जनजातीय मामलों के मंत्री जुएल ओरांव की एक नाम की सिफारिश को स्वीकार किया गया.
इन राज्यपालों की संस्तुति खारिज
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी, हरियाणा के कप्तान सिंह सोलंकी, जम्मू-कश्मीर के एनएन वोहरा, उत्तर प्रदेश के राम नाईक, गुजरात के ओपी कोहली, केरल के पी सतशिवम, पुडुचेरी की उपराज्यपाल किरण बेदी की संस्तुतियों को पद्म पुरस्कारों की सूची में स्थान नहीं मिला.
गुमनाम नायकों का किया गया चयन
चयन समिति ने ऐसे “गुमनाम नायकों” का चयन किया है,जिन्होंने अपना सारा जीवन गरीब लोगों के लिए काम करने में बिता दिया अथवा वंचित समुदाय की पृष्ठभूमि से संबंधित होने के बावजूद उन्होंने अपने क्षेत्रों में उत्कृष्टता हासिल की.