काफी दिनों से देश के अन्नदाता अपने लिय संर्घष कर रहे हैं, कभी फसल के निर्धारित मूल्य के लिए, तो कभी दूध के उचित मूल्य के लिय. कई बार सड़क पर उतरता तो कई बार सड़क पर फैंक कर और अर्द्धनग्न होकर किया प्रदर्शन करता है, पर देश की सरकारे भी शायद कुंभकर्ण की नींद में सोई हुई है.
ताजा मामला मध्यप्रदेश के मुरैना का है, दूध के उचित दाम नहीं मिलने के विरोध में मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के किसानों ने गुरुवार को सड़क पर कई लीटर दूध बहा दिया.
वहीं, अर्द्धनग्न किसानों ने बड़ी तादात में श्योपुर जिले के किसानों ने पटेल चौक में प्रदर्शन करते हुए मांग की कि चंबल नदी से नहर निकालकर उनके 35 गांवों को सिंचाई के लिए पानी दिया जाए.
इन किसानों की राज्य सरकार से मांग है कि उनके दूध का उन्हें उचित दाम मिलने के साथ-साथ उन्हें बेहतर सिंचाई की सुविधा मुहैया कराई जाए.
किसानों ने अपनी मांगों को मनवाने के लिए सरकार पर दबाव बनाने के लिए गुरुवार से अनिश्चितकालीन प्रदर्शन शुरू कर दिया है.
मुरैना में किसानों के नेता किशोर महेश्वरी एवं भूपेंद्र बघेल ने कहा, ‘सबलगढ़ इलाके में किसानों ने अपने दूध के उचित दाम नहीं मिलने के कारण अपना दूध सड़क पर बहा दिया.’ उन्होंने आरोप लगाया कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के बाद बड़े डेयरी उत्पादक चाहते हैं कि किसान उन्हें 50 रुपये प्रति लीटर की बजाय 35 रुपये प्रति लीटर दूध बेचें, जिससे किसानों को दूध का व्यवसाय करने में नुकसान हो रहा है.
उन्होंने कहा कि, किसानों को एक लीटर दूध के कम से कम 50 रुपये प्रति लीटर मिलना ही चाहिए. इन दोनों नेताओं ने कहा कि बड़े डेयरी उत्पादकों का तर्क है कि जीएसटी लगने से उनके डेयरी उत्पादों के दाम बढ़ गए हैं, जिसके कारण उनकी बिक्री में कमी आई है. इससे डेयरी उत्पादकों को घाटा हो रहा है और इस घाटे को पूरा करने के लिए वे किसानों से कम कीमत पर दूध खरीदना चाहते हैं.
महेश्वरी एवं बघेल ने चेतावनी देते हुए कहा कि, ‘हम कल से दूध बेचना बंद कर देंगे और अपने आंदोलन को और तेज कर देंगे.’
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