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जातियों को साधने के चक्कर में शिवराज ने बिगाड़ा क्षेत्रीय संतुलन

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भाजपा को गुजरात चुनाव में कांग्रेस से मिली कांटे की टक्कर और फिर राजस्थान में करारी शिकस्त के बाद शिवराज कैबिनेट के दूसरे विस्तार में जातियों को साधने का प्रयास तो किया गया, लेकिन इससे भौगोलिक संतुलन और बिगड़ गया. प्रदेश के कई जिले ऐसे हैं जहां से कोई विधायक मंत्री नहीं है, वहीं कई जिले ऐसे हैं,जहां से एक नहीं तीन-तीन मंत्री हैं.
गौरतलब है कि हाल ही में शिवराज सरकार ने मंत्रिमंडल का विस्तार किया है. कोलारस और मुंगावली उपचुनाव के मद्देनजर यह विस्तार पूरी तरह जातिगत समीकरणों पर आधारित रहा.काछी समाज को प्रतिनिधित्व देने के लिए विधायक नारायण सिंह कुशवाह, लोधी समाज को ध्यान में रखते हुए नरसिंहपुर विधायक जालम सिंह पटेल और पाटीदार वर्ग से खरगोन विधायक बालकृष्ण पाटीदार को शामिल किया गया है.
भाजपा ने पिछड़ा वर्ग को साधने के हिसाब से तीन मंत्रियों को शपथ तो दिलाई, लेकिन आदिवासी और अनुसूचित जाति वर्ग को शामिल नहीं किए जाने से नेताओं और जनता दोनों में ही नाराजगी बढ़ी है. विधानसभा चुनाव से ठीक नौ महीने पहले भाजपा ओबीसी पर जिस तरह मेहरबान हुई है, उससे अब भाजपा को फायदा होता है या हानि ये तो उपचुनाव के परिणाम से स्पष्ट हो ही जाएगा.

24 फरवरी को कोलारस और मुंगावली में मतदान होना है. ग्वालियर-चंबल क्षेत्र पर भाजपा काफी मेहरबान है.शिवराज कैबिनेट में सात मंत्रियों समेत केंद्र में भी ग्वालियर को प्रतिनिधित्व मिला हुआ है. हरियाणा के राज्यपाल कप्तान सिंह भी इसी इलाके से हैं.
किस वर्ग से कितने मंत्री
GENERAL :17
OBC          :10
SC             :02
ST              :03
क्षेत्रवार मंत्रियों और सीटों की संख्या
1.ग्वालियर-चम्बल क्षेत्र
कुल मंत्री – 7,सीटों की संख्या – 34
2.महाकौशल क्षेत्र
कुल मंत्री – 5,सीटों की संख्या – 38
3.मध्यभारत
कुल मंत्री – 6,सीटों की संख्या – 36
4.बुंदेलखंड
कुल मंत्री – 5,सीटों की संख्या – 26
5.विंध्य
कुल मंत्री – 2,सीटों की संख्या – 30
6.मालवा-निमाड़
कुल मंत्री – 5,सीटों की संख्या – 66
विंध्य क्षेत्र से मात्र दो मंत्री बनाए गए हैं. वहीं 66 विधानसभा क्षेत्र वाले मालवा-निमाड़ से मात्र पांच मंत्री हैं. रतलाम, धार, मंदसौर आलीराजपुर और झाबुआ के पूरे आदिवासी बेल्ट से कोई भी मंत्री नहीं है.यहां तक कि इंदौर से भी किसी को मंत्री बनने का मौका नहीं मिल पाया. छिंदवाड़ा-सिवनी जैसे जिले नेतृत्वविहीन हैं.