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क्यों चर्चा में है, स्विट्ज़रलैंड का दावोस शहर ?

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स्विट्ज़रलैंड लका दावोस शहर एक बार फिर “वर्ल्ड इकॉनोमिक फ़ोरम” की मेज़बानी करते हुए चर्चा में है. इस वर्ष यह सम्मलेन अधिक चर्चा में है, उसकी वजहों पर गौर किया जाए तो मालूम पड़ता है, कि कुछ समय पहले तक “वर्ल्ड इकॉनोमिक फ़ोरम” अपनी महत्ता को खो रहा था. पर इस वर्ष दुनिया के बड़े दिग्गज राजनेता और बड़ी कम्पनियों के सीईओ स्विट्ज़रलैंड के इस शहर में इकठ्ठा हो रहे हैं.
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दावोस में क्यों जुटते हैं, दुनिया भर के दिग्गज

बीबीसी हिंदी लिखता है –

  • फ़ोरम की वेबसाइट के मुताबिक उसे दावोस-क्लोस्टर्स की सालाना बैठक के लिए जाना जाता है.
  • बीते कई साल से कारोबारी, सरकारें और सिविल सोसाइटी के नुमाइंदे वैश्विक मुद्दों पर चर्चा के लिए यहां जुटते हैं और चुनौतियों से निपटने के लिए समाधानों पर विचार करते हैं.
  • अब इसके इतिहास पर नज़र. प्रोफ़ेसर क्लॉज़ श्वॉब ने जब इसकी नींव रखी थी तो इसे यूरोपियन मैनेजमेंट फ़ोरम कहा जाता था.
  • ये फ़ोरम स्विट्ज़रलैंड के जिनेवा शहर का गैर-लाभकारी फ़ाउंडेशन हुआ करता था.
  • हर साल जनवरी में इसकी सालाना बैठक होती थी और दुनिया भर के जाने-माने लोग यहां पहुंचते थे.

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भारत का मतलब व्यापार है – दावोस में पीएम मोदी

  • वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के लिए स्विट्जरलैंड के दावोस शहर पहुंचकर पीएम मोदी ने सोमवार को दुनियाभर से आए कंपनियों के सीईओ से मुलाकात की, पीएम ने उन्हें बताया कि “भारत का मतलब व्यापार” है.
  • इसके बाद उन्होंने दुनिया भर की कम्पनियों को भारत में व्यापार के लिये आमंत्रित किया.

 

प्रधानमंत्री मोदी ने स्विस राष्ट्रपति एलेन बर्सेट के साथ द्विपक्षीय संबंधों और टैक्‍स संबंधित जानकारियों के आदान-प्रदान को लेकर व्‍यापक चर्चा की. पीएम मोदी ने स्विस राष्ट्रपति एलेन बर्सेट के साथ मिलने के बाद विदेश मंत्रालय ने एक ट्वीट में कहा कि दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय सहयोग को और गहरा करने के लिए संबंध में फायदेमंद बातचीत की. 

बीबीसी हिंदी के अनुसार-

  • दुनिया भर के फाइनेंसरों की आदतों का ब्यौरा देने वाली किताब ‘सुपरहब्स’ की लेखक सैंड्रा नविदी कहती हैं, “वर्ल्ड इकॉनॉमिक फोरम शायद हमारे दौर का सबसे प्रभावी और शक्तिशाली नेटवर्क प्लेटफॉर्म है.”
  • वो कहती हैं कि ये राष्ट्र प्रमुखों, नीति निर्धारकों और बिजनेस प्रमुखों को लोगों की नज़रों में आने के डर के बिना रूबरू मुलाकात का मौका मुहैया कराती है जो इसके बिना शायद ही संभव होता.
  • ऐसी मुलाक़ातों में से खास मुलाकातों को दावोस की भाषा में “इनफॉर्मल गैदरिंग ऑफ वर्ल्ड इकॉनॉमिक लीडर्स (दुनिया भर के अर्थनीति के अगुवाओं की अनौपचारिक मुलाकात) ” कहा जाता है
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