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नज़रिया – क्या विनोद राय को देश से माफ़ी मांगना चाहिए ?

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2014 में लोकसभा चुनाव मुख्यतः दो मिद्दो को लेकर लड़ गया था पहला विकास व दूसरा भ्र्ष्टाचार। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) की सरकार पर लगे संगीन भ्रष्टाचार के आरोपो ने नरेंद्र मोदी व भाजपा के राजनीतिक हौसले बुलंद किये।(UPA) में कांग्रेस मुख्य भूमिका में रही इसलिये गठबंधन की सरकार पर लगे आरोपों में यह भी भागीदार बनी जिसका खामियाजा लोकसभा की सिर्फ 44 सीटों पर ही संतुष्ट होकर उठाना पड़ा।
अब इतने वर्षों बाद उच्चतम न्यायालय ने अपने निर्णय में 2G में किसी भी प्रकार के घोटाले या भ्रष्टाचार के आरोपों को गलत,झूठ बताया है। 2G UPA सरकार का वह तथाकथिक घोटाला है जिसने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की साफ सुथरी छवि को भी नहीं बख्शा।
टेलीकॉम स्पेक्ट्रम आवंटन से संबंधित इन आरोपों में आज सभी 19 आरोपियों को बरी कर दिया गया जिसमे ए राजा, ए राजा के निजी सचिव सिद्धार्थ चंदोलिया,राज्यसभा सांसद कनिमोई, स्वान टेलीकॉम के प्रमोटर शाहिद उस्मान बलवा,आसिफ बलवा,कलाईनगर टीवी के निदेशक शारद कुमार ,रिलायंस ग्रुप के वरिष्ठ अधिकारी गौतम जोशी के अलावा विनोद गोयनका, संजय चंद्रा ,राजीव अग्रवाल ,सुरेंद्र पिपरा व हरि नैयर जैसे लोग शामिल है।
2011 में भारत के पूर्व सीएजी विनोद राय द्वारा उठाये गए इस मुद्दे ने भारतीय राजनीति में अबतक के सबसे बड़े कहे जाने वाले भ्रष्टाचार को उजागर करने का दावा किया जिसमें 30,984 करोड़ रुपय की हेराफेरी की आशंका जताई जा रही थी। इसी आरोप के कारण ए राजा और कनिमोई को 17 और 5 महीने की जेल काट चुके है।
2011 से अब तक इतने सालों में 2G घोटाला भारत के हर शहर ,हर गली में चर्चा का विषय बनता रहा है देश के कई राज्यो व स्थानीय चुनावो  को भी 2G ने प्रभावित किया है।
इतने समय तक इस कानूनी लड़ाई में सभी तथाकथित आरोपियों की मानसिक पीड़ा का अंदाज़ा लगाना बेहद मुश्किल है राजनीतिक, सामाजिक रूप से एक प्रकार का बहिष्कार झेल रहे ये लोग आज स्वयं को संतुष्ट और स्वतंत्र महसूस कर रहे होंगे। कानूनी रूप से यह साबित हो चुका है कि 2G जैसा कोई घोटाला अस्तित्व में आया ही नहीं यह बात/निर्णय आज भाजपा व उनके सहयोगी दलों के गले मे फंस गई है।
जिस मुद्दे को अच्छे से निचोड़कर राजनीति में प्रयोग किया आज वह मुद्दा ही धराशाही हो गया यह भारतीय राजनीति का पहला वाक्य होगा जहां किसी भ्रष्टाचार की इतनी कठोर जांच करने ,सभी पहलुओं को खंगालने के पश्च्यात एक उचित निर्णय भी लिया गया हो।
छः सालो तक अत्यंत मानसिक,शारीरिक पीड़ा से गुजरे सभी 19 आरोपी 150 गवाह अन्य लोगो के जख्मो की भरपाई अब किस प्रकार की जाएगी विनोद राय द्वारा लगाय गए ये संगीन आरोप भारतीय राजनीति में बड़े तूफान पैदा करने के लिए काफी थे जो हुए भी लेकिन इस आरोपों का निरस्त हो जाना यही बताता है कि इनके पीछे राजनीतक द्वेष,अज्ञानता व असुरक्षा की भावना ही काम कर कर रही थी जिसने कई सालों तक देश को अंधेरे में रखा ।
कांग्रेस व  UPA  के अन्य सहयोगी दलों के लिए यह फैसला चैन की सांस लेने वाला है 2014 में जिन आरोपो ने हर जगह इनका पीछा किया वह वास्तव में पानी का एक बुलबुल मात्र था जो दबाव पड़ते ही फुट गया ।
परंतु नज़र आगे होने वाले राजनीतिक प्रकरणों पर रहेगी कि किस प्रकार भ्रष्टाचार के आरोपों से पीड़ितों को इंसाफ मिलेगा? ,क्या विनोद राय पूरे देश के सामने अपनी गलती स्वीकारते हुए माफी मांगेंगे? ,क्या ए राजा समेत सभी लोगो को किसी प्रकार का मुआवजा मिलता है?
आगे चाहे जो हो लेकिन इतना तो निश्चित है कि यह फैसला प्रधान सेवक नरेन्द्र मोदी की तीखी ज़बान की धार काम कर देगा व विपक्ष को अपनी विश्वसनीयता दिखाने का एक और मौका मिलेगा।