कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी गुजरात चुनाव से पहले और अब एक अलग अंदाज में दिख रहे हैं. राहुल गांधी ने आक्रामक कैंपेन किया, बीजेपी को कड़ी टक्कर दी. लेकिन जिस तरह से राहुल गुजरात में हार के बाद भी प्यार से मोदी पर निशाना साध रहे हैं. इससे देखकर मन में सवाल उठने लगा कि क्या कांग्रेस बदल रही है या फिर पांचवीं पीढ़ी का अंदाज भर है.
गुजरात चुनाव के नतीजे आने के एक दिन बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मीडिया से कहा कि गुजरात चुनाव का जो नतीजा आया है उससे बीजेपी को जबरदस्त झटका लगा है. कांग्रेस के लिए यह अच्छा रिजल्ट रहा है. राहुल ने कहा है कि ये नतीजे पीएम मोदी और बीजेपी के लिए एक संदेश हैं. कांग्रेस पार्टी बीजेपी से लड़ेगी. पीएम मोदी हमारे कैंपने का जवाब नहीं दे पाए.
राहुल गाँधी को अपनी हार में जीत दिखना ही सही है, क्योंकि पहली बार गुजरात में कांग्रेस के अच्छे परफॉर्मेंस ने विपक्ष में जोश भर दिया है. नरेंद्र मोदी के खिलाफ अब कहीं ज़्यादा मजबूती से विपक्ष लड़ेगा. आगे राहुल गांधी गुजरात वाले अपने चुनावी मॉडल पर ही चल सकते हैं. विपक्ष की दूसरी पार्टियां भी राहुल गांधी को नेता मानने पर मजबूर हो सकती है.
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि पीएम मोदी विकास की बात कर रहे हैं लेकिन उसका जवाब नहीं दे पाए. गुजरात चुनाव में वह अपनी पार्टी के प्रदर्शन के बारे में बोल रहे थे. राहुल गांधी ने कहा कि इस चुनाव प्रचार में पीएम मोदी के विकास मॉडल की विश्वसनीयता पर सवाल उठे हैं. राहुल ने कहा कि हमने तीन चार महीने काम किया और रिजल्ट आपने देखा. वहां हमें प्रचार के दौरान यह पता चला कि जो ‘गुजरात मॉडल’ की बात ये करते हैं उसे वहां के लोग ही नहीं मानते. इन्होंने से प्रचारित किया लेकिन यह अंदर से पूरा खोखला है.
लेकिन ये भी कर्नाटक, एमपी, राजस्थान, छत्तीसगढ़ के परफॉर्मेंस पर निर्भर करता है. क्योंकि साख का सवाल राहुल गांधी पर भी गुजरात में अच्छे परफॉर्मेंस के बावजूद उठेगा. पिछले 5 सालों में राहुल गांधी के प्रमुख चेहरे के साथ कांग्रेस रिकॉर्ड तोड़ 27 चुनाव हारी है. इस ट्रैक रिकॉर्ड को देखकर ही सवाल ये है अगर गुजरात की तिकड़ी का सहारा ना होता, तो क्या कांग्रेस को राहुल गांधी 80 के नंबर तक भी पहुंचा पाते.
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