हमारा देश भारत महान है, जिस पर हमे अगाध गर्व है. हमारे देश के लोग भी उदार परवर्ती के है. यहाँ पर हर चैनल को दर्शक मिल जाते है, हर किताब को पाठक मिल जाते है और हर बाबा को फॉलोवर्स मिल जाते है. बाबाओं की लिस्ट तो लम्बी है.
निर्मल बाबा से लेकर आशाराम बापू तक. इसी क्रम में एक रहस्यमयी बाबा है. डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह इंसा. वैसे तो भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 में उपाधियों का अंत कहा गया है. पर इन बाबा के पास तो…खैर, छोड़िये. ये नहीं कह रहे कि बाबा ने कोई संविधान का उल्लंघन करा है. बस यूं ही अनुच्छेद 14 याद आ गया था.
बाबा खुद को उपरवाले का सेवक बताते है. और क्या पता हो भी. कुछ भी हो बस, इन बाबा के समर्थक व्यापक है. इनका आश्रम सिरसा(हरयाणा) से कुछ दूरी में डेरा सचा सौदा नाम से मशहूर है. इनके अनुयायियों की संख्या इतनी अधिक है कि डेरा सचा सौदा में इनके हर दिन हजारों अनुयायी उपस्थित रहते है. और कुछ खास दिनों पर ये संख्या लाखों में होती है. ऐसा भी नहीं है कि इनके अनुयायी किसी एक धर्म तक ही सीमित हो, ऐसा नहीं है. ये सर्व धर्म की बात करते है. और बाबा ने अब तो एक्टर के रूप में भी स्वयं को स्थापित कर लिया है. चार-पांच फिल्म भी बना चुके है.
बाबा के प्रत्येक राजनीतिक दल के साथ अच्छे सम्बन्ध है. चाहे कांग्रेस हो या बीजेपी. प्रत्येक पार्टी इनके क़दमों में नतमस्तक होती है. बाबा ने कई मशहूर खिलाडियों को भी ट्रेनिंग दी है. युसूफ पठान से लेकर विराट कोहली तक.
मतलब बाबा मल्टी से भी मल्टी टेलेंटेड है. पर बाबा के एक अन्य टैलेंट के कारण सीबीआई ने मामला दर्ज कर रखा है. बाबा में ये टैलेंट है व्यापक रूप से है या नहीं ये तो फैसला कोर्ट को करना है. पर हम ये देख लेते है की ये मसला क्या है :-
डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख राम रहीम साध्वी से यौन शोषण के आरोपों का सामना कर रहे हैं. पंचकूला की सीबीआई अदालत इस पर फैसला सुनाएगी. बाबा के अनुयायियों की संभावित हिंसक प्रतिक्रिया के मद्देनजर हरियाणा और पंजाब सरकार हाई अलर्ट पर है. साध्वी से यौन शोषण के साथ ही 2 हत्याओं को लेकर भी शक की सुई डेरे की ओर है. इस मामले की भी सुनवाई अंतिम चरण में है और जल्द ही फैसला आ सकता है. जानिए, ये तीनों मामले कैसे एक-दूसरे से सम्बन्धित है:-
ये आरोप बकौल बड़े मीडिया चैनल ने छापे है.
यौन शोषण का आरोप और गुमनाम खत
मई, 2002 में इन पर उनकी एक साध्वी ने यौन शोषण का आरोप लगाया. साध्वी ने एक गुमनाम पत्र प्रधानमंत्री को भेजा गया जिसकी एक कॉपी पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को भी भेजी गई.
2 महीने बाद रणजीत की हत्या
इस मामले पर कार्रवाई की जा रही थी कि 10 जुलाई 2002 को डेरा सच्चा सौदा की प्रबंधन समिति के सदस्य रहे रणजीत सिंह की हत्या हो गई. डेरे को शक था कि कुरुक्षेत्र के गांव खानपुर कोलियां के रहने वाले रणजीत ने अपनी ही बहन से वह पत्र प्रधानमंत्री को लिखवाया है. रणजीत की बहन डेरे में साध्वी थी और उसने पत्र लिखे जाने से पहले डेरा छोड़ दिया था. रणजीत की उस समय हत्या हुई जब वह अपने घर से कुछ ही दूरी पर जीटी रोड के साथ लगते अपने खेतों में नौकरों के लिए चाय लेकर जा रहे थे. हत्यारों ने अपने गाड़ी को जीटी रोड पर खड़ा रखा और गोलियों से भूनने के बाद फरार हो गए. चर्चा रही कि रणजीत सिंह ने डेरे के कई तरह के भेद खोलने की धमकी दी थी.
रणजीत के पिता ने सीबीआई जांच की मांग की
जनवरी 2003 में हाई कोर्ट में पुलिस जांच से असंतुष्ट रणजीत के पिता व गांव के तत्कालीन सरपंच जोगेंद्र सिंह ने याचिका दायर कर सीबीआई जांच की मांग की. 24 सितंबर 2002 को हाई कोर्ट ने साध्वी यौन शोषण मामले में गुमनाम पत्र का संज्ञान लेते हुए डेरा सच्चा सौदा की सीबीआई जांच के आदेश दिए. सीबीआई ने फिर जांच शुरू की थी.
खबर प्रकाशित करने वाले पत्रकार का मर्डर
24 अक्टूबर 2002 को सिरसा के सांध्य दैनिक ‘पूरा सच’ के संपादक रामचंद्र छत्रपति पर कातिलाना हमला किया गया। छत्रपति को घर के बाहर बुलाकर पांच गोलियां मारी गईं. बताया जाता है कि साध्वी से यौन शोषण और रणजीत की हत्या पर खबर प्रकाशित करने की वजह से संपादक पर हमला किया गया. आरोप लगे कि मारने वाले डेरे के आदमी थे. 25 अक्टूबर 2002 को घटना के विरोध में सिरसा शहर बंद रहा. 21 नवंबर 2002 को सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की दिल्ली के अपोलो अस्पताल में मौत हो गई.
संपादक के मर्डर की सीबीआई जांच की मांग
दिसंबर 2002 को छत्रपति परिवार ने पुलिस जांच से असंतुष्ट होकर मुख्यमंत्री से मामले की जांच सीबीआई से करवाए जाने की मांग की. परिवार का आरोप था कि मर्डर के मुख्य आरोपी और साजिशकर्ता को पुलिस बचा रही है. जनवरी 2003 में पत्रकार छत्रपति के बेटे अंशुल छत्रपति ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर छत्रपति प्रकरण की सीबीआई जांच करवाए जाने की मांग की. याचिका में डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह पर हत्या किए जाने का आरोप लगाया गया.
रणजीत और संपादक की हत्या की जांच सीबीआई को मिली
हाई कोर्ट ने पत्रकार छत्रपति व रणजीत हत्या मामलों की सुनवाई इकट्ठी करते हुए 10 नवंबर 2003 को सीबीआई को एफआईआर दर्ज कर जांच के आदेश जारी किए. दिसंबर 2003 में सीबीआई ने छत्रपति व रणजीत हत्याकांड में जांच शुरू कर दी. दिसंबर 2003 में डेरा के लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सीबीआई जांच पर रोक लगाने की मांग की. सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर जांच को स्टे कर दिया.
नवंबर 2004 में दूसरे पक्ष की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने डेरा की याचिका को खारिज कर दिया और सीबीआई जांच जारी रखने के आदेश दिए. सीबीआई ने पुन: उक्त मामलों में जांच शुरू कर डेरा प्रमुख सहित कई अन्य लोगों को आरोपी बनाया. जांच के बौखलाए डेरा के लोगों ने सीबीआई के अधिकारियों के खिलाफ चंडीगढ़ में हजारों की संख्या में इकट्ठे होकर प्रदर्शन किया/
जब सुनवाई कर रहे जजों को ही मांगनी पड़ी सुरक्षा
जुलाई 2007 को सीबीआई ने हत्या मामलों व साध्वी यौन शोषण मामले में जांच पूरी कर चालान न्यायालय में दाखिल कर दिया. सीबीआई ने तीनों मामलों में डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह को मुख्य आरोपी बनाया. न्यायालय ने डेरा प्रमुख को 31 अगस्त 2007 तक अदालत में पेश होने के आदेश जारी कर दिया. डेरा ने सीबीआई के विशेष जज को भी धमकी भरा पत्र भेजा जिसके चलते जज को भी सुरक्षा मांगनी पड़ी. न्यायालय ने हत्या और बलात्कार जैसे संगीन मामलों में मुख्य आरोपी डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह को नियमित जमानत दे दी जबकि हत्या मामलों के सहआरोपी जेल में बंद थे. तीनों मामले पंचकूला स्थित सीबीआई की विशेष अदालत में हैं.
खैर, फैसला तो अब कोर्ट को करना है, तो बाबा के समर्थकों को भी कोर्ट और प्रशासन का सम्मान करना चाहिए. उनको लगता होगा की कोर्ट उनकी इस सनक से इन्फ्लुएंस होकर कोई निर्णय देगा, तो वे इस वहम को त्याग दे. न्याय कभी भावनात्मक नहीं होता है. तथ्यात्मक होता है. फिर उनको बापू आशाराम और रामपाल महाराज का उदाहरण भी नहीं भूलना चहिये. कुछ जिम्मेदारी तो बाबा की भी बनती है की वो समर्थकों से शांति की अपील करें.
कहते न्याय में देर है अंधेर नहीं. देखते है क्या फैसला आता है.