किसानों की चिंता हर कोई करता है पर जमीनी हकीकत कुछ अलग ही है, किसानों के लिए बड़े बड़े नेता खेती सिखने के लिए विदेशों तक घूम आते है. पर हकीकत में किसान का कोई स्तर नही सुधरता. किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य के तहत उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने राज्य के दस लाख से अधिक किसानों को किसान पाठशाला के माध्यम से खेती किसानी के वैज्ञानिक एवं व्यावहारिक पहलुओं के बारे में शिक्षित करने का दावा किया है.
वहीं विपक्ष तथा विभिन्न किसान संगठनों ने इस पाठशाला को एक छलावा बताया है और कहा है कि यह पाठशाला केवल कागजों पर आयोजित की गई.
उतर प्रदेश सरकार का दावा है कि उत्तर प्रदेश के इतिहास में इस तरह की किसान पाठशाला का आयोजन पहली बार किया गया है, जिसमें किसानों को रबी की फसलों के अलावा जैविक खेती, मृदा हेल्थ कार्ड, फसल बीमा योजना, कृषि विविधीकरण सहित खेती किसानी से जुड़ी अन्य वैज्ञानिक जानकारियों दी जा रही है.
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने दावा किया, प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद ये संकल्प लिया गया था किसानों की आय पांच साल में दोगुनी की जाएगी. इसकी शुरुआत किसान पाठशाला जैसे अभिनव प्रयोग के माध्यम से हो चुकी है.
उधर, उत्तर प्रदेश किसान सभा के महामंत्री मुकुट सिंह ने कहा कि किसान पाठशाला पूरी तरह फ्लाप शो है और यह किसानों के साथ धोखा है. उन्होंने कहा कि ये भाजपा सरकार की एक और जुमलेबाजी है.
भारतीय किसान यूनियन के लखनऊ मंडल अध्यक्ष हरिनाम वर्मा ने बताया कि किसान पाठशाला पूरी तरह विफल साबित हुई है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि तमाम ग्राम पंचायतों में इस तरह का कोई कार्यक्रम ही आयोजित नहीं किया गया. व्यावहारिक स्तर पर यह कार्यक्रम हुआ ही नहीं, यह केवल कागजों तक सीमित रह गया है.
उधर समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने कहा, भाजपा का किसान और कृषि से कोई लेना देना नहीं है. सरकार किसान पाठशाला चलाकर जनता को धोखा दे रही है. यह छलावा है.
प्रदेश सरकार दावा कर रही है कि किसान पाठशाला पहल के तहत 15 हजार पाठशालाओं के माध्यम से प्रदेश के दस लाख किसानों को मिट्टी के स्वास्थ्य के संरक्षण एवं संवर्धन के संबंध में जागरूक करने सहित किसानों की आय दोगुना करने के लिए कृषि एवं अन्य संबंधित विभागों द्वारा संचालित कार्यक्रमों की जानकारी प्रदान की गई.
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