राजनीती में बदलाव, भ्रष्टाचार विरोधी लहर और आंतरिक लोकतंत्र जैसे तमाम वादों पर सवार होकर सत्ता में आई पार्टी व्यक्ति केंद्रित बनकर रह गई है. उन्होंने जो अपनी टोपी पर स्लोगन लिखा था वो ही साबित कर दिया शायद, “मुझे चाहिए पूरी आजादी”
जी हाँ, ठीक समझे आप हम बात कर रहे हैं आम आदमी पार्टी की . अन्ना के आन्दोलन से जन्मी पार्टी जब राजनीती में आयी थी, तो बड़े बड़े दावे और वादों के साथ राजनीती में आयी थी. पर अगर पार्टी के कार्यकाल पर एक नजर डाली जाये तो ये इस ओर ईशारा है की ये पार्टी भी सिर्फ व्यक्ति केंद्रित बनकर रह गई है.
जैसे ही आम आदमी पार्टी की ओर से राज्यसभा चुनाव के लिए जिन तीन लोगों के नाम तय किए गए हैं. उससे साफ है कि पार्टी अब केजरीवाल की होकर रह गई है.
ये आप के तीन उम्मीदवारों के नाम के ऐलान से और स्पष्ट हो गया है. यही नहीं इससे इस तथ्य पर भी मुहर लगती है कि जिस-जिस ने भी केजरीवाल से असहमति दिखाई और उनके काम करने के तौर तरीकों पर सवाल उठाए आम आदमी पार्टी के संरक्षक ने उसको निपटा दिया. ऐसे लोगों की काफी लंबी लिस्ट है.
क्या कुमार विश्वास का भी साथ छूटेगा
- आम आदमी पार्टी के मंचीय कवि डॉ कुमार विश्वास केजरीवाल से असहमति रखने के ताजा शिकार हुए हैं.
- केजरीवाल के गुट में कुमार विश्वास को राष्ट्रवादी और भाजपा से हमदर्दी रखने वाले व्यक्ति के तौर देखा जाता है, जबकि केजरीवाल के राजनीति इसके विरोध में है.
- विश्वास और केजरीवाल के बीच कई मुद्दों पर अलग-अलग राय देखने को मिली है. चाहे वो मामला कपिल मिश्रा का हो या अमानतुल्लाह खान का.
- हाल के दिनों में विश्वास आप में ढांचागत बदलाव की बात करते रहे हैं. जाहिर है पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को ये बर्दाश्त नहीं होता.
- कुल मिलाकर आम आदमी पार्टी में कुमार का ‘विश्वास’ सिमटता दिख रहा है. हालांकि उनके पास राजस्थान का प्रभार है.
योगेंद्र यादव-प्रशांत भूषण
- कभी केजरीवाल के खास, पुराने और मजबूत रणनीतिकार रहे योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण की आम आदमी पार्टी से विदाई बड़ी हृदय विदारक रही.
- 2015 के विधानसभा चुनावों के बाद योगेंद्र यादव-प्रशांत भूषण और केजरीवाल के बीच जबरदस्त मतभेद उभरकर सामने आए.
- हालात ये बन गए कि पार्टियों की बैठकों में नेताओं के बीच गाली गलौज और हाथापाई की नौबत आ गई.
- योगेंद्र और प्रशांत भूषण पार्टी से अलग हो गए. दोनों नेता आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से थे, लेकिन केजरीवाल ने दोनों को पार्टी से बाहर कर दिया.
- योगेंद्र और प्रशांत ने स्वराज अभियान नाम से एक दल बनाया और दिल्ली में अपनी लड़ाई लड़ने की ठानी.
- योगेंद्र यादव की अगुवाई में स्वराज अभियान ने एमसीडी चुनावों में भी हिस्सा लिया.
- लेकिन उन्हें आशातीत सफलता नहीं मिली. राज्यसभा के उम्मीदवारों के ऐलान के बाद योगेंद्र और प्रशांत ने ट्वीट कर इसे पार्टी का घोर पतन करार दिया.
इस लिस्ट में विनोद कुमार बिन्नी और कपिल मिश्रा भी हैं. दोनों पर भाजपा के सपोर्ट का आरोप भी लगता रहा है
इन्होंने भी किया केजरीवाल से किनारा
अन्ना आंदोलन के समय से केजरीवाल के साथ जुड़े समाजसेवियों ने भी अरविंद के काम करने के तरीके को लेकर आपत्ति जताते हुए पार्टी से किनारा कर लिया.
इनमें सोशल एक्टिविस्ट मयंक गांधी, सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर और अंजलि दामनिया प्रमुख हैं.