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ताउम्र क़ैद में रहेगा "बोस्निया का कसाई"

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युद्ध अपराध के केस में संयुक्त राष्ट्र के जजों ने पूर्व सर्बियाई जनरल म्लादिच को उम्रकैद की सज़ा सुनाई है. ज्ञात होकि म्लादिच पर 1992 से 1995 के दौरान बोस्नियाई मुस्लिमों के नरसंहार का आरोप था. कोर्ट ने उसे मानवता के खिलाफ़ किये अपराधों का दोषी करार दिया है. वहीं उसे 8,000 बोस्नियाई मुसलमान पुरुषों की जनसंहार का भी दोषी पाया गया है. यही वजह है कि म्लादिच को ‘बोस्निया का कसाई’ कहा जाता है. उसे कुल 10 आरोपों में दोषी पाया गया है.

म्लादिच को मानवता के विरुद्ध अपराध का दोषी पाया गया

1995 में स्रेब्रेनित्सा के जनसंहार पर फैसला देते हुए संयुक्त राष्ट्र के यूगोस्लाव युद्ध अपराध ट्राइब्यूनल ने राट्को म्लादिच को मानवता के खिलाफ अपराध, युद्ध अपराध और जनसंहार का दोषी करार दिया है. अंतरराष्ट्रीय अपराध ट्राइब्यूनल के तीन जजों ने म्लादिच को ताउम्र कैद की सजा सुनाई. म्लादिच को 11 में से 10 आरोपों का दोषी करार देते हुए जज अल्फोंस ओरी ने कहा, “इन अपराधों को अंजाम देने के लिए, चैम्बर रात्को म्लादिज को आजीवन कारावास की सजा देता है.”

बोस्निया के कसाई के नाम से जाने जाना वाला सर्बियाई जनरल- रैट्को म्लाडिच

क्या था पूरा मामला ?

बीबीसी के अनुसार- 1992 में बोस्नियाई मुसलमानों और क्रोएशियाई लोगों ने आज़ादी के लिए कराये गए जनमत संग्रह के पक्ष में वोट दिया था जबकि सर्बिया के लोगों ने इसका बहिष्कार किया. इस वाकये के बाद बोस्निया में लड़ाई भड़क गई. बोस्नियाई मुसलमान और क्रोएट्स लोग एक तरफ़ थे तो दूसरी तरफ़ बोस्नियाई सर्ब.
इस लड़ाई में कत्ल किए गए 8000 पुरुषों और बच्चों की हत्या का इलज़ाम रैट्को म्लाडिच पर लगा. हालांकि इन सब के बावजूद कई बोस्नियाई सर्ब आज भी उन्हें हीरो की तरह देखते हैं. लेकिन इस लड़ाई के बाद बोस्निया के लोग आज भी बंटे हुए हैं. एक अनुमान के मुताबिक़ बोस्निया की लड़ाई में एक लाख से ज़्यादा लोगों ने अपनी जान गंवाई और तकरीबन 22 लाख बेघरबार हुए.
जर्मन न्यूज़ सर्विस DW के अनुसार – स्रेब्रेनित्सा दूसरे विश्वयुद्ध के बाद यूरोप में हुआ सबसे बड़ा जनसंहार है. इस जनसंहार में प्रिजेदोर इलाके में जिजाद बाचिच अकेले इंसान हैं, जो यहां हुई हिंसा में जिंदा बच सके. वो कहते हैं, “वे 17 लोग थे. सिर्फ महिलाएं और बच्चे. उनमें सबसे छोटा बच्चा ढाई साल का था.” वो याद करते हैं कि पुरुषों को दो दिन पहले ही वहां से ले जाया जा चुका था. महिलाएं और बच्चे घर में इकट्ठे थे. शाम के वक्त सैनिकों ने दरवाजा खटखटाया, उन्हें जबरन घर से बाहर निकाला और उनपर गोलियां बरसा दीं. उन्होंने भाग कर घर के पीछे छिप कर किसी तरह अपनी जान बचाई. प्रिजदोर के इलाके में सर्बिया की सेना ने करीब 3200 लोगों की हत्या की थी. बोस्निया के मिसिंग पर्सन इंस्टीट्यूशन के मुताबिक उनमें से 770 लोगों से भी ज्यादा के शव आज भी लापता हैं. बोस्निया संघर्ष में करीब एक लाख से भी ज्यादा लोग मारे गये थे और कम से कम 7 हजार लोग आज भी लापता हैं. मृतकों के शव खोजने में कई अड़चनें सामने आती हैं क्योंकि हत्या करने के बाद आरोपियों ने मृतकों के अवशेषों को छिन्न भिन्न कर दिया. कई बार शरीर की केवल कुछ ही हड्डियां मिल सकीं.

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