जानवरों से भी बदतर हालत में बहन थी क़ैद

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दिल्ली महिला आयोग को महिला हेल्पलाइन 181 पर सूचना मिली कि एक महिला घर में कैद है. इस पर आयोग की मोबाइल हेल्पलाइन काउंसलर तुरंत वहां भेजी गईं. जब आयोग की टीम ने घर के मालिक से गेट खोलने को कहा तो भाई की पत्नी ने मना कर दिया. उसने आयोग के लोगों को गालियां देना शुरू कर दिया.
आयोग की टीम ने थाने में एसएचओ से बात की जिन्होंने सहायता के लिए पुलिस की एक टीम भेजी. आयोग और पुलिस की टीम फिर उस घर पर पहुंचे, मगर उस महिला ने गेट खोलने से इनकार कर दिया और पुलिस को भी गलियां दीं. गेट खोलने की बहुत कोशिश की गई मगर गेट नहीं खुला.
आखिरकार आयोग की टीम पुलिस के साथ पड़ोसी की छत से होकर उस घर में पहुंची जहां पर 50 वर्षीय महिला अपनी ही गंदगी में पड़ी हुई थी. उसकी हालत बहुत खराब थी. वह इस कदर भुखमरी की शिकार रही कि हड्डियों का ढांचा मात्र रह गई है. छत पर महिला का मल फैला हुआ था. उसको खुले में छत पर रखा गया था जिस पर कोई कमरा या शौचालय नहीं था.
महिला के दूसरे भाई ने बताया कि उसकी बहन पूजा (नाम परिवर्तित), उम्र 50 साल मानसिक रूप से पूरी तरह ठीक नहीं है. वह अपनी मां के साथ उनके घर में रहती थी. उसने बताया कि मां की मृत्यु के बाद वह छोटे भाई के साथ रह रही थी.
उसने बताया कि उसका भाई उस महिला का ठीक से ध्यान नहीं रखता था और उसके साथ उसका परिवार अमानवीय व्यवहार करता था. इसके अलावा महिला ने बताया कि पिछले दो साल से उसको चार दिन में एक ही बार रोटी दी जाती थी. उसका भाई किसी को भी उससे मिलने नहीं देता था.
इस मामले में रोहिणी सेक्टर 7 थाने में एफआईआर दर्ज हो गई है. दिल्ली महिला आयोग की टीम महिला को रोहिणी के आम्बेडकर हॉस्पिटल लेकर गई जहां उसका इलाज चल रहा है.